सीफूड की घरेलू और इंटरनेशनल डिमांड पूरी करने और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए अचानक से अंडमान-निकोबार द्वीप की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. अंडमान में ही दो दिन बाद एक बड़ी इन्वेस्टर्स मीट भी होने जा रही है. इस मीट में देश-विदेश की फिशरीज से जुड़ी बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ ही केन्द्रीय मंत्री और विभाग के बड़े अफसर भी शामिल होंगे. इन्वेस्टर्स और कंपनियों को सीफूड से जुड़ी अंडमान के बारे में जानकारियां दी जाएंगी. समुद्र में मछली पकड़ने से लेकर ट्रांसपोर्ट और प्रोसेसिंग अवसरों के बारे में बताया जाएगा.
दक्षिण-पूर्व एशिया से नजदीक होने के चलते कैसे इन अवसरों को बड़े मुनाफे में बदला जा सकता है ये जानकारी भी इन्वेस्टर्स और कंपनियों के साथ साझा की जाएगी. खासतौर पर यहां सबसे ज्यादा पाई जाने वाली टूना मछली की भी बात होगी. गौरतलब रहे हाल ही में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मछली संपदा योजना (PMMSY) के तहत अंडमान-निकोबार द्वीप को टूना मछली का क्लस्टर घोषित किया है. इसी के चलते 14 नवंबर को यहां इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया जा रहा है.
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फिशरीज डिपार्टमेंट से जुड़े अफसरों की मानें तो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (A&N द्वीप समूह) में मछली पालन और एक्वाकल्चर को बढ़ावा देने और एक्सपोर्ट की अपार संभावनाएं हैं. दक्षिण-पूर्व एशिया से नजदीक है तो रणनीतिक भौगोलिक स्थिति और अपार समुद्री संसाधन का भरपूर फायदा उठाने का मौका मिलेगा. यहां अच्छी तरह से विकसित बंदरगाह सुविधाएं भी हैं जो बड़े मछली पकड़ने वाले जहाजों को एडजस्ट कर देते हैं. जरूरत के मुताबिक शिपिंग और हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे भी हैं. अक्टूबर 2024 से इंटरनेशनल उड़ानें भी शुरू हो चुकी हैं. इसके चलते आसपास की इंटरनेशनल मार्केट के साथ सीधा संपर्क बढ़ेगा.
यहां प्रोसेसिंग यूनिट में हर साल 1.48 लाख टन सीफूड प्रोसेस की क्षमता है. जबकि वर्तमान में मछली उत्पादन सिर्फ 49 हजार टन ही है. मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप के द्वीप क्षेत्रों में मछली पालन के विकास को प्राथमिकता देती है, क्योंकि इन क्षेत्रों में समुद्री स्थिति का लाभ मिलता है. क्योंकि यहां टूना मछली जैसे बहुमूल्य संसाधन पाए जाते हैं. जो न सिर्फ इन क्षेत्रों के मछली उत्पादन बल्कि मछुआरों को भी जिंदगी जीने में मदद करेंगे. भारत के सीफूड एक्सपोर्ट में भी उछाल आएगा.
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