Cattle Plague: ‘मवेशी प्लेग’ की रोकथाम के लिए बने एलीट ग्रुप में शामिल हुआ भारत, मिली बड़ी कामयाबी 

Cattle Plague: ‘मवेशी प्लेग’ की रोकथाम के लिए बने एलीट ग्रुप में शामिल हुआ भारत, मिली बड़ी कामयाबी 

Rinderpest Virus 29 मई 2025 को पेरिस में आयोजित WOAH के 92वें आम सत्र के दौरान भारत को रिंडरपेस्ट वायरस ‘मवेशी प्लेग’ की रोकथाम के लिए बने एलीट ग्लोबल ग्रुप में शामिल करने का ऐलान किया गया. साथ ही पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) की सचिव और भारत की WOAH प्रतिनिधि अलका उपाध्याय को सर्टिफिकेट भी सौंपा गया. जिसका भारत को कई क्षेत्रों में फायदा मिलेगा. 

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Cattle Plague: ‘मवेशी प्लेग’ की रोकथाम के लिए बने एलीट ग्रुप में शामिल हुआ भारत, मिली बड़ी कामयाबी वर्ल्ड लेवल पर भारत को रिंडरपेस्ट एलीट ग्लोबल ग्रुप में जगह मिली है.

Rinderpest Virus बीते महीने भारत को वर्ल्ड लेवल पर एक बड़ी कामयाबी मिली है. हाल ही में पेरिस में हुए एक कार्यक्रम के तहत भारत को रिंडरपेस्ट वायरस ‘मवेशी प्लेग’ की रोकथाम के लिए बने एलीट ग्लोबल ग्रुप में शामिल किया गया है. इस मौके पर केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की सचिव अलका उपाध्याय को सदस्यता का प्रमाण पत्र दिया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन वलर्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एनिमल हैल्थ (WOAH) की 92वीं आम सभा के दौरान किया गया था. विश्व पशु स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा के क्षेत्र में भारत को मिली ये एक बड़ी कामयाबी है. 

इंटरनेशनल लेवल पर मिलने वाली इस कामयाबी से भारत को पशुपालन और एनिमल डेयरी प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट में बहुत मदद मिलेगी. ICAR -राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD), भोपाल को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा कैटेगिरी A रिंडरपेस्ट होल्डिंग सुविधा (आरएचएफ) के रूप में मान्यता दी गई. 

जानें रिंडरपेस्ट यानि मवेशी प्लेग के बारे में 

रिंडरपेस्ट को मवेशी प्लेग भी कहा जाता है. मवेशी प्लेग इतिहास में पशुधन की सबसे खतरनाक बीमारी के रूप में दर्ज है. लेकिन साल 2011 से वर्ल्ड लेवल पर इसे खत्म करने के लिए एक ग्रुप बनाने के साथ एक अभि‍यान शुरू किया गया था. हालांकि कुछ जानकारी के मुताबिक रिंडरपेस्ट वायरस-युक्त सामग्री (RVCM) अभी भी कुछ प्रयोगशालाओं में बनी हुई है, जो जारी होने पर संभावित जोखिम पैदा करती है. यही वजह है कि रिंडरपेस्ट बीमारी से दुनिया को मुक्त बनाए रखने के लिए, FAO और WOAH ने RVCM के स्टोरेज को दुनिया भर में कुछ उच्च सुरक्षा प्रयोगशालाओं तक सीमित रखने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं. इसी के चलते ही भारत ने 2012 में एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए एक उच्च-नियंत्रण बीएसएल-3 सुविधा और WOAH संदर्भ प्रयोगशाला NIHSAD को RVCM के लिए अपने राष्ट्रीय भंडार के रूप में नामित किया था.

वहीं औपचारिक रूप से 2019 में RHF स्थिति के लिए भी अपना आवेदन पेश किया था. FAO और WOAH द्वारा नियुक्त इंटरनेशनल एक्सपर्ट द्वारा मार्च 2025 में NIHSAD का संयुक्त निरीक्षण किया गया था. सख्त मूल्यांकन के बाद संस्थान को अब अपने मजबूत जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल, प्रभावी सूची प्रबंधन और आपातकालीन स्थितियों के लिए तत्परता की स्थिति को मान्यता देते हुए एक साल की अवधि के लिए कैटेगिरी A RHF के रूप में आधिकारिक तौर पर मान्यता मिली है. यह मान्यता भारत को दुनिया भर में केवल छह सुविधाओं के एक प्रतिष्ठित समूह में रखती है जिन्हें रिंडरपेस्ट वायरस सामग्री को सुरक्षित रूप से रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है. भारत की ये कामयाबी वैश्विक पशु स्वास्थ्य, जैव सुरक्षा और वन हेल्थ फ्रेमवर्क में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को पुख्ता करती है. 

कामयाबी पर क्यों बोली पशुपालन सचिव 

अलका उपाध्याय का कहना है, "रेंडरपेस्ट के उन्मूलन में भारत की भूमिका ऐतिहासिक थी. आज भी उस विरासत को संरक्षित करने में इसकी भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है. यह मान्यता केवल रोकथाम के बारे में नहीं है, ये जिम्मेदारी और तत्परता के बारे में है." समिति ने भारत को वैक्सीन बीज सामग्री से संबंधित मामलों पर आगे बढ़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया है, जो भविष्य में कैटेगिरी B पदनाम के लिए इसके आवेदन को मजबूत करेगा. कैटेगिरी A RHF के रूप में NIHSAD का पदनाम वैश्विक पशु स्वास्थ्य की सुरक्षा में भारत के निरंतर नेतृत्व का प्रमाण है और रोग नियंत्रण और रोकथाम के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के प्रति देश की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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