जीएम मक्का आयात करने की अनुमति मिल जाए तो अंडों का एक्सपोर्ट बढ़ जाएगा.आने वाले चंद साल में अंडों की डिमांड बढ़ने वाली है. हर रोज करीब 160 करोड़ अंडों की जरूरत होगी. जबकि अभी करीब 33 करोड़ अंडों का उत्पादन हर रोज हो रहा है. ये कहना है इंटरनेशनल ऐग कमीशन (IEC) के प्रेसिडेंट सुरेश चित्तुरी का. उनका कहना है कि हमारे पीएम नरेन्द्र मोदी ने साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की बात कही है. और मुझे उम्मीद है कि देश विकसित राष्ट्र बन जाएगा. लेकिन इसका एक बड़ा फायदा पोल्ट्री सेक्टर को भी मिलेगा. क्योंकि विकसित राष्ट्र में एक तय मात्रा के मुताबिक प्रोटीन की भी जरूरत होगी.
और प्योर, सस्ते प्रोटीन का सोर्स होगा अंडा. इसलिए मैं दावे से कह सकता हूं कि अंडा यानि पोल्ट्री का फ्यूचर बड़ा ही साफ है. 22 साल बाद आबादी भी बढ़ेगी. और अगर जरूरत का 10 फीसद प्रोटीन भी अंडे से लिया तो भी कम से कम एक अंडा तो रोजाना हर किसी को खाना ही होगा.
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सुरेश चित्तुरी का कहना है कि 90 ग्राम प्रोटीन के कई उदाहरण हमारे सामने हैं. लेकिन 2047 में हम 90 ग्राम में भी 20 फीसद का डिस्काउंट ले लें तो हमे 70 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होगी. अब अगर आबादी की बात करें तो एक आंकड़े के मुताबिक देश की जनसंख्या उस वक्त 160 करोड़ पर पहुंच जाएगी. ऐसे में अगर प्रति व्यक्ति एक अंडे के हिसाब से भी देखें तो हर रोज 160 करोड़ अंडे चाहिए होंगे.
IEC प्रेसिडेंट सुरेश चित्तुरी का कहना है कि ऐग एक्सपोर्ट को लेकर खासा काम का रहा है. बाजार तलाशे जा रहे हैं. ऐसी उम्मीद है कि आने वाले पांच से छह साल में ऐग एक्सपोर्ट 200 से 300 करोड़ पर पहुंच जाएगा. हमारे यहां अंडे की जो लागत है उस हिसाब से इस बात की बहुत उम्मीद है कि ऐग एक्सपोर्ट बढ़ जाएगा. गौरतलब रहे हाल ही में कई देशों में भारत के अंडा बाजार में कदम रखा है. हालांकि क्वालिटी को लेकर कुछ परेशानी आ रही है, लेकिन सुरेश चित्तुरी का कहना है कि एक्सपोर्ट के लिए जो मानक होने चाहिए उन्हें पूरा करने में हम सक्षम हैं.
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