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गर्मियों में पशुओं को कम पानी पिलाना पड़ सकता है भारी, एक्सपर्ट ने कहा- बीमारियों की चपेट में आने का खतरा

गर्मियों में पशुओं को कम पानी पिलाना पड़ सकता है भारी, एक्सपर्ट ने कहा- बीमारियों की चपेट में आने का खतरा

एनिमल एक्सपर्ट का यहां तक कहना है कि अगर गर्मियों के दौरान पशुओं की खुराक में हरे चारे की मात्रा भरपूर रखी जाए तो एक किलो हरे चारे से तीन से चार लीटर तक पानी की कमी पूरी हो जाती है. इसलिए एक्स‍पर्ट की सलाह मानकर पशुओं के पीने के पानी का सिस्टम जरूर बनाएं. 

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हरे चारे और पानी की कमी होते ही राजस्थान के चरवाहे गांवों को छोड़ देते हैं. हरे चारे और पानी की कमी होते ही राजस्थान के चरवाहे गांवों को छोड़ देते हैं.

40 से 42 डिग्री वाले तापमान के इस मौसम में बेशक पशुओं को एक वक्त खाने को मिले, लेकिन पीने के पानी में कोई कमी नहीं आनी चाहिए. ये कहना है एनिमल एक्सएपर्ट का. एक्सपर्ट का कहना है कि पीने के पानी की कमी के चलते पशुओं को इस मौसम में कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. पशु डिहाइड्रेशन समेत हीट स्ट्रैस जैसी परेशानी में आ सकता है. इसी के चलते वेटरनरी यूनिवर्सिटी राजुवास, बीकानेर के एक्सपर्ट ने पशुओं के पानी पीने संबंधी एक एडवाइजरी जारी की है. 

इस एडवाइजरी में ये बताया गया है कि गर्मी के इस मौसम में पशुओं के लिए साफ और ताजा पानी पीना क्यों जरूरी है, पानी ना पीने पर किस तरह की परेशानी हो सकती है, उसके लक्षण क्या हैं और परेशानी होने पर किस तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं. 

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गर्मियों में ये 10 काम जरूर करें पशुपालक

  1. पशुओं को बार-बार पानी पिलाते रहें. 
  2. जहां तक संभव हो पशुओं को ताजा और ठंडा पानी ही पिलाएं.
  3. पशुओं के शरीर पर भी दिन में कम से कम तीन बार पानी का छिड़काव करें. 
  4. पशुओं को सूखी तूड़ी 30 फीसद और हरा चारा 70 फीसद खिलाएं. 
  5. ताजा तूड़ी खिलाने से पहले उसे भिगो लें. शाम को भिगोकर रखी गई तूड़ी सुबह खिलाएं. 
  6. पशु के सामने हमेशा नमक का बड़ा टुकड़ा रखें, इसे चाटने से प्यास लगती है. 
  7. पशुओं को सुबह-शाम नहलाएं जरूर. 
  8. जहां पशु बांधे जाते हैं वहां भी पानी का छिड़काव करें. 
  9. पशुओं को छायादार जगह पर बांधना चाहिए. 
  10. पानी की कमी महसूस होने पर घर पर ही नमक-चीनी से तैयार घोल पिलाते रहना चाहिए.  

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पशुओं में पानी की कमी के लक्षण 

जब पशुओं में पानी की कमी हो जाती है तो कई तरह के लक्षण से इसे पहचाना जा सकता है. जैसे पशुओं को भूख नहीं लगती है. सुस्ती और कमजोर हो जाना. पेशाव गाढ़ा होना, वजन कम होना, आंखें सूख जाती हैं, चमड़ी सूखी और खुरदरी हो जाती है और पशुओं का दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. और सबसे बड़ी पहचान ये है कि जब हम पशु की चमढ़ी को उंगलियों से पकड़कर ऊपर उठाते हैं तो वो थोड़ी देर से अपनी जगह पर वापस आती है. 

पानी की कमी से पशु को होते हैं ये नुकसान 

पानी की कमी होने पर पशुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे चारा खाने और उसे पचाने की क्षमता कम हो जाती है. शरीर के जरूरी पोषक तत्वा मल-मूत्र के जरिए बाहर निकलने लगते हैं. पशुओं की दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ने लगता है. खून गाढ़ा होने लगता है. बछड़े और बछड़ियों को पेचिस लग जाती है. बड़े पशुओं को दस्त लग जाते हैं.