40 से 42 डिग्री वाले तापमान के इस मौसम में बेशक पशुओं को एक वक्त खाने को मिले, लेकिन पीने के पानी में कोई कमी नहीं आनी चाहिए. ये कहना है एनिमल एक्सएपर्ट का. एक्सपर्ट का कहना है कि पीने के पानी की कमी के चलते पशुओं को इस मौसम में कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. पशु डिहाइड्रेशन समेत हीट स्ट्रैस जैसी परेशानी में आ सकता है. इसी के चलते वेटरनरी यूनिवर्सिटी राजुवास, बीकानेर के एक्सपर्ट ने पशुओं के पानी पीने संबंधी एक एडवाइजरी जारी की है.
इस एडवाइजरी में ये बताया गया है कि गर्मी के इस मौसम में पशुओं के लिए साफ और ताजा पानी पीना क्यों जरूरी है, पानी ना पीने पर किस तरह की परेशानी हो सकती है, उसके लक्षण क्या हैं और परेशानी होने पर किस तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं.
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जब पशुओं में पानी की कमी हो जाती है तो कई तरह के लक्षण से इसे पहचाना जा सकता है. जैसे पशुओं को भूख नहीं लगती है. सुस्ती और कमजोर हो जाना. पेशाव गाढ़ा होना, वजन कम होना, आंखें सूख जाती हैं, चमड़ी सूखी और खुरदरी हो जाती है और पशुओं का दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. और सबसे बड़ी पहचान ये है कि जब हम पशु की चमढ़ी को उंगलियों से पकड़कर ऊपर उठाते हैं तो वो थोड़ी देर से अपनी जगह पर वापस आती है.
पानी की कमी होने पर पशुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे चारा खाने और उसे पचाने की क्षमता कम हो जाती है. शरीर के जरूरी पोषक तत्वा मल-मूत्र के जरिए बाहर निकलने लगते हैं. पशुओं की दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ने लगता है. खून गाढ़ा होने लगता है. बछड़े और बछड़ियों को पेचिस लग जाती है. बड़े पशुओं को दस्त लग जाते हैं.
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