Animal Care: जुलाई में इन 12 टिप्स पर किया काम तो नहीं घटेगा दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल 

Animal Care: जुलाई में इन 12 टिप्स पर किया काम तो नहीं घटेगा दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल 

Animal Care in Monsoon माॅनसून में सरकार की ओर से दुधारू पशुओं के लिए एडवाइजरी जारी की जाती है. बरसात के दौरान पशुओं को संक्रमित रोग होते ही उसका सबसे पहला असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. पशु गंभीर रोग से बीमार भी हो जाता है. लेकिन, अगर वक्त रहते कुछ ऐहतियाती कदम उठा लिए जाएं तो इस तरह की परेशानी और आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है. 

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Animal Care: जुलाई में इन 12 टिप्स पर किया काम तो नहीं घटेगा दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल गर्मी में कई बीमारियों की चपेट में आ सकती है गाय (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Animal Care in Monsoon पशुओं के लिए माॅनसून का महीना राहत देने वाला माना जाता है. खासतौर से दुधारू पशुओं के लिए. क्योंकि माॅनसून का जुलाई महीना भैंसों के प्रजनन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. कृत्रिम गर्भाधान (एआई) तकनीक आने के बाद से अब तो पशुपालक जुलाई के हिसाब से ही गाय-भैंस को गाभि‍न कराते हैं. लेकिन ये भी सच है कि पशु हो या पशुपालक दोनों के लिए ही इस महीने में परेशानी भी खूब आती हैं. कई छोटी-बड़ी संक्रमण वाली बीमारियां भी पशुओं में इसी दौरान होती हैं. 

जिसका असर ये होता है कि गाय-भैंस के बीमार होते ही उनका दूध उत्पादन घट जाता है और लागत बढ़ जाती है. इसका सीधा असर पशुपालक के मुनाफे पर पड़ता है. लेकिन एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो माॅनसून के दौरान कुछ उपाय अपनाकर पशुपालक अपनी गाय-भैंस को संक्रमण से होने वाली बीमारियों से बचा सकते हैं, और साथ ही दूध उत्पादन को कम होने से भी रोक सकते हैं.   

मानूसन में इन बातों का रखें खास ख्याल 

  • जुलाई में बारिश होती है, इसलिए पशुओं के बाड़े को साफ और सूखा रखें. 
  • गर्मी और नमी वाली संक्रमित बीमारियों से पशुओं को बचाना चाहिए. 
  • बारिश की वजह से जुलाई में परजीवी और बाहरी परजीवी का असर काफी ज्यादा होता है. ऐसे में संबंधित रोगों से बचाव करना बहुत ही जरूरी होता है. 
  • जुलाई में ज्यादातर पशुपालक भैंसों से बच्चा लेते हैं, इसलिए पशुपालकों को प्रजनन संबंधी सावधानी के साथ नवजात की सुरक्षा हेतु पूरी जानकारी प्राप्त होनी चाहिए. गाभि‍न गाय-भैंस को अलग साफ हवादार सूखे स्थान पर रखना चाहिए.
  • जुलाई में अच्छे दूध उत्पादन के लिए जरूरी मात्रा में मिनरल मिक्चर की मात्रा पशु चिकित्सक की सलाह पर दिया जाना चाहिए. 
  • कम मात्रा में या बिल्कुल भी मिनरल मिक्चर नहीं दिए जाने से पशुओं को बीमारी हो सकती हैं. 
  • हरे चारे के खेतों में जानवरों को नहीं जाने दें. खासतौर से ज्वार के खेत में नहीं जाने दें. 
  • लम्बी गर्मी के बाद अचानक से बारिश के बाद जब हरे चारे की बढ़वार होती है उसमें साइनाइड जहर पैदा होने लगता है. इसके चलते चारा जहरीला हो जाता है. ऐसी फसल को समय पूर्व कच्ची अवस्था में न काटें और ना ही जानवरों को खिलायें.
  • चारा एक्सपर्ट के मुताबिक जुलाई हरा चारा बोने के लिए सही वक्त होता है. 
  • हरे चारे की बीज मात्रा 25-30 किलोग्राम प्रति एकड़ इस्तेमाल करें. 
  • हर सीजन में पशुओं को खि‍लाई जाने वाली चारा घासों को जुलाई में लगाया जा सकता है.  
  • संतुलित पशु आहार के लिए मक्का, बाजरा, लोबिया और ज्वार की एक साथ बोआई करें. इससे आने वाले वक्त में पशुओं के लिए हरे चारे की कमी नहीं होगी.

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