Animal Vaccination: वैक्सीनेशन चार्ट का किया पालन तो AMR से नहीं होने पड़ेगा परेशान, पढ़ें डिटेल 

Animal Vaccination: वैक्सीनेशन चार्ट का किया पालन तो AMR से नहीं होने पड़ेगा परेशान, पढ़ें डिटेल 

Animal Vaccination आज ज्यादातर देश एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) फ्री एनिमल प्रोडक्ट की डिमांड कर रहे हैं. जबकि डेयरी, पोल्ट्री और फिशरीज में ये एक बड़ी परेशानी बन चुकी है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि इसका एक मात्र इलाज ये है कि पशुओं को एंटी बायोटिक दवाई खाने को न दी जाएं. लेकिन ये तभी मुमकिन है जब पशु बीमार न हों और वक्त पर पशुओं का वैक्सीनेशन कराया जाए. 

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Animal Vaccination: वैक्सीनेशन चार्ट का किया पालन तो AMR से नहीं होने पड़ेगा परेशान, पढ़ें डिटेल पशु टीकाकरण. (फाइल फोटो)

Animal Vaccination दूध, मीट और अंडा सभी के उत्पादन में भारत पहले से लेकर चौथे स्थान पर है. बावजूद इसके तीनों प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट नाम मात्र का है. जैसे दूध उत्पादन में भारत पहले नंबर पर है. अंडा उत्पादन में दूसरे और चिकन में पांचवे नंबर पर है. लेकिन चिकन के एक्सपोर्ट की बात करें तो नाम मात्र के लिए नेपाल और भूटान को एक्सपोर्ट किया जाता है. अंडे गिनती के चार-पांच देशों को ही एक्सपोर्ट हो रहे हैं. बफैलो मीट एक्सपोर्ट में जरूर भारत ने कई बड़े देशों को पीछे छोड़ा हुआ है. लेकिन ये आंकड़ा भी और बड़ा हो सकता है. 

कई और देश भारत से बफैलो मीट खरीदना चाहते हैं, लेकिन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) की वजह से ये मुमकिन नहीं हो पा रहा है. इसी के चलते चिकन एक्सपोर्ट नहीं होता है. अंडे और डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड भी एएमआर की वजह से ही नहीं बढ़ पा रही है. हालांकि साइंटिस्ट के मुताबिक एएमआर की परेशानी को वैक्सीनेशन चार्ट का पूरी तरह से पालन कर दूर किया जा सकता है.  

वक्त से कराया पशुओं का वैक्सीनेशन तो होंगे ये फायदे

  • वैक्सीनेशन होने के बाद पशु बीमारियों के अटैक से बचे रहते हैं.  
  • वैक्सीनेशन होने के बाद महामारियों का जल्द असर नहीं होता है. 
  • पशुओं से मनुष्यों में होने वाली संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है.
  • बीमारियो के इलाज से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाव होता है.
  • एनिमल प्रोडक्ट से इंसानों में होने वाली बीमारी से बचाव होता है.
  • किसानों की पशुपालन में कम लागत से मुनाफा बढ़ जाता है.

वैक्सीनेशन में इन बातों का जरूर रखें ध्यान 

  • प्रथम टीकाकरण केवल स्वस्थ पशुओं में ही करना चाहिए.
  • टीकाकरण से कम से कम दो सप्ताह पहले कृमिनाशक दवाई देनी चाहिये.
  • टीकाकरण के समय पशुओं का हेल्दी होना जरूरी है. 
  • बीमार और कमजोर पशुओं का टीकाकरण नहीं करना चाहिए. 
  • बीमारी फैलने से करीब 20-30 दिन पहले टीकाकरण करा लेना चाहिए. 
  • रोग फैलने के संभावित समय से करीब 20-30 दिन पहले करना चाहिए.
  • मानकों के अनुसार कोल्ड बॉक्स में रखे टीके ही पशुओं को लगाने चाहिए. 
  • जहां पशु ज्यादा हों वहां झुण्ड में पशुओं का टीकाकरण करना जरूरी होता है.
  • गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण नहीं करना चाहिए.
  • टीकाकरण का रिकार्ड रखने के लिये हमेशा पशु स्वास्थ्य कार्ड बनाएं.
  • टीकाकरण के दौरान हर पशु के लिये अलग-अलग सूईयों का इस्तेमाल करें. 
  • टीके में इस्तेमाल की गई सूई और सिरिज को नियमानुसार डिस्पोज करें.

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