Calf and Colostrum बछड़ा गाय का हो या भैंस का उसे पैदा होने के फौरन बाद खास देखभाल संग एक अच्छी खुराक चाहिए होती है. हालांकि खुराक के रूप में एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक कोलोस्ट्रम (खीस) पिलाना चाहिए. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि गाय-भैंस को कुछ हैल्थ संबंधी परेशानी के चलते बछड़े को कोलोस्ट्रम नहीं मिल पाता है. जबकि पैदा होते ही बच्चे को पहला दूध खीस पिलाने को कहा जाता है. एनिमल एक्सपर्ट खीस को एंटीबॉडी बताते हैं. सही तरीके से पिलाए गए खीस से बछड़ा हेल्दी और तंदरुस्त बनता है. बीमारियां भी उसे जल्दी अपनी चपेट में नहीं लेती हैं. पशुपालन और डेयरी कारोबार की सफलता में बछड़ा प्रबंधन को अहम माना जाता है. अगर खीस नहीं आ रहा हो तो ऐसे में एक्सपर्ट कोलोस्ट्रम की जगह एक खास मिश्रण बनाने की सलाह देते हैं.
इस मिश्रण में ही अंडे और मछली के लिवर का तेल इस्तेमाल करने की बात कही जाती है. एक्सपर्ट का कहना है कि जब बछड़े को पैदा होने के साथ ही शरीर मजबूत करने के लिए खुराक नहीं मिलेगी तो वो बीमारियों से लड़ने लायक नहीं बन पाएगा. बछड़े की बॉडी ग्रोथ भी नहीं होगी. इतना ही नहीं खुराक के साथ विपरीत मौसम से बचाने के लिए खास तरह की देखभाल भी करनी होगी. कई बार बछड़े जन्म के बाद सांस लेने में परेशानी महसूस करते हैं.
एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक जन्म के एक-दो घंटे के अंदर बछड़े को कोलोस्ट्रम पिलाना चाहिए. ये मां का पहला दूध होता है. कोलोस्ट्रम इम्युनोग्लोबुलिन से भरपूर होता है. ये बछड़ों में इम्यूनिटी को बढ़ाकर बीमारियों से रक्षा करता है. इसके अलावा, कोलोस्ट्रम में खनिज और विटामिन भी भरपूर मात्रा में होते हैं. कोलोस्ट्रम में रेचक गुण होने के कारण पहला मल आसानी से बाहर निकल जाता है. आम तौर पर जन्म के समय बछड़े का वजन 30 किलो होता है, इसलिए सुबह 1.5 किलो कोलोस्ट्रम और शाम को भी 1.5 किलो दिया जाना चाहिए. यदि कोलोस्ट्रम न मिले तो 300 एमएल गर्म पानी में एक अंडा मिलाएं, 600 मिली दूध और आधा चम्मच अरंडी का तेल मिला लें. इसके साथ ही इस मिश्रण में एक चम्मच मछली के लीवर का तेल और 80 मिलीग्राम ओरियोमाइसिन पाउडर मिलाएं मिलाकर इसे तैयार कर लें.
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