Fish Pond Care: तालाब में मछली पालन करते हैं तो जुलाई के लिए अभी से शुरू कर दें तैयारियां, पढ़ें डिटेल Fish Pond Care: तालाब में मछली पालन करते हैं तो जुलाई के लिए अभी से शुरू कर दें तैयारियां, पढ़ें डिटेल
Tips for Fish Pond मानसून के दौरान तालाब में पलने वाली मछलियों की डिमांड बढ़ जाती है. और नदी-समुद्र की मछलियों को पकड़ने पर रोक लगा दी जाती है. ऐसा मछलियों के प्रजनन काल को देखते हुए किया जाता है. जबकि तालाब में रहने वाली मछलियों के लिए तालाब में अलग से व्यवस्था की जाती है.
तालाब बनाने में सरकार करेगी मददनासिर हुसैन - NEW DELHI,
- Jun 11, 2025,
- Updated Jun 11, 2025, 3:21 PM IST
Tips for Fish Pond तालाब में मछली पालन करना जितना मुनाफे का सौदा है तो उतना ही इसमे जोखिम भी है. तालाब में मछली पालन के दौरान पानी का हेल्दी होना बहुत जरूरी है. अगर पानी की गुणवत्ता जरा भी ऊपर-नीचे हुई तो तय मान लिजिए की मछलियां बीमार होना शुरू हो जाएंगी. कई बार तो पानी के चलते ऐसे हालात बन जाते हैं कि मछलियां तालाब में ही मरने लगती हैं. खासतौर पर मानसून के दौरान तालाब का पानी खराब होने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती हैं. इस दौरान मछलियों को उचित रखरखाव और गुणवत्ता वाले फीड की जरूरत होती है.
मानसून के दौरान तालाब के पानी में होने वाले बदलाव और संक्रमित बीमारियों के खतरे को देखते हुए खासतौर पर जुलाई-अगस्त में मछलियों के लिए खास तैयारियां करना जरूरी है. ऐसे में जो खास तैयारियां पहले से करनी चाहिए उसमे तालाब का पानी, फीड, खाद, ऑक्सीजन और संक्रमित बीमारियों से बचाव भी शामिल होता है. ऑक्सीजन का लेवल बनाए रखने के लिए एरेटर लगाए जा सकते हैं. साथ ही हर तरह से पानी को प्रदूषण मुक्त रखना होता है.
तालाब के मछली पालक जुलाई में रखें इन बातों का ख्याल
- तालाब में ब्रूडर (बीज बनाने) वाली मछलियों के खाने का पूरा ख्याल रखें.
- मछलियों के कुल शरीर के वजन का दो से तीन फीसद की दर से खाने को दें.
- बेहतर प्रजनक मछली तैयार करने के लिए प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम मिनरल मिक्चर और पांच ग्राम गट प्रोबायोटिक्स का इस्तेमाल करें.
- मछली बीज उत्पादक हैचरी में रोहु, कतला, मृगल, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प और सिल्वर कार्प के स्पॉन (बीज) उत्पादन कर सकते हैं.
- नर्सरी तालाब में स्पॉन डालने के 15 दिनों के बाद ही रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करें.
- नर्सरी तालाब की तैयारी के बाद उसमे 15-20 लाख स्पॉन प्रति एकड़ की दर से ही पालन करें.
- तालाब की तैयारी के बाद फ्राई स्पॉन की संख्या 1.5 से दो लाख प्रति एकड़ की दर से रखें.
- ग्रो आउट तालाब में मछली पालन के लिए 50 ग्राम के ईयररिंग की संख्या 3000 एकड़ और 100 ग्राम ईयरलिंग का स्टोरेज 2000 प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए.
- मछली पालन के लिए तालाब में एयरेटर का इस्तेमाल करें.
- तालाब में चूने का इस्तेमाल 15 दिनों के अंतर पर पीएच मान के मुताबिक 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए.
- तालाब में एक बार जैविक खाद के रूप में गोबर 400 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करें.
- जैविक खाद के रूप में सरसों-राई की खल का इस्तेमाल 100 किलोग्राम प्रति एकड़ दर से करें.
- सिंगल सुपर फॉस्फेट 15-20 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल का छिड़काव करें.
- रासायनिक और जैविक उर्वरक के बीच का अन्तराल कम से कम 15 दिन होना चाहिए.
- पानी ज्यादा हरा होने पर चूना और रासायनिक उर्वरक का प्रयोग बन्द कर दें.
- मौसम खराब रहने पर तालाब में पूरक आहार का प्रयोग नहीं करें.
- तालाब में मछलियों को संक्रमण से बचाने के लिए हर महीने 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटॉशियम परमेंगनेट के घोल का इस्तेमाल करें.
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