पुराने समय से ही हमारे देश में बड़े पैमाने में पशुपालन का काम किया जाता रहा है. पशुपालकों की पहली पसंद हमेशा से ही दुधारू पशु रहे हैं. इन दिनों नए-नए लोग भी दुधारू पशुओं को पालकर डेयरी बिजनेस से जुड़ रहे हैं. कमाई के लिहाज से भी डेयरी फार्म बेहतर है. आप भी डेयरी फार्मिंग करते हैं या करने की सोच रहे हैं तो गिर नस्ल की देसी गाय जरूर पालना चाहिए. पशुपालन में रुचि रखने वाले लोग पहले भी गिर गाय के बारे में सुन चुके होंगे लेकिन उसके रख-रखाव और खान-पान से जुड़ी ज्यादातर चीजों से अधिकांश पशुपालन अंजान हैं.
पहली बार डेयरी फार्म की शुरुआत करने वाले पशुपालकों के लिए देसी नस्ल की गिर गाय पालना फायदे का सौदा हो सकता है. आज इस खबर में गिर गाय से जुड़ी सारी छोटी-बड़ी बातें बताते हैं.
गिर गाय भारतीय देसी नस्लों में काफी खास होती हैं. इस नस्ल को पालने के लिए पर्याप्त जगह की जरूरत होती है. गिर गायें एक जगह बंधे रहना कम पसंद करती हैं, गिर गायों को थोड़ा खुलापन पसंद होता है. अगर आप 8-10 गिर गायों से पशुपालन की शुरुआत करने जा रहे हैं तो तीन से चार हजार स्क्वायर फीट की जगह पर्याप्त है.
इसके अलावा गिर गायों के शेड के फर्श में पक्की ढलाई ना कराएं. इससे इनके खुर खराब होने की आशंका रहती है. गिर गायों के लिए मिट्टी का फर्श ही बेहतर होता है. इनके शेड में नियमित साफ-सफाई होनी चाहिए और किसी तरह का जलभराव नहीं होना चाहिए. शेड पूरी तरह से सूखा और हवादार होना चाहिए. प्रकाश और हवा के लिए बिजली की फिटिंग भी जरूरी होती है.
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गिर गायों को सूखा और हरा दोनों तरह का चारा खिलाना जरूरी होता है. हरे चारे के रूप में ज्वार, जई, बरसीम और मक्का के पत्ते की कुटी बनाकर खिलाना चाहिए. इसके अलावा इन्हें दानों से भरपूर स्पेशल पशु आहार खिलाया जाता है जिसमें गेहूं, मक्का, जौ, चना और मूंगफली या सरसों की खली को एक साथ मिला कर भुरभुरा पीस लें और गुड़ के पानी में गला कर पशुओं को खिलाएं. ये पशु आहार प्रति गाय को डेढ़ किलो खिलाना चाहिए, दूध देने वाली गायों को उनके दूध देने की क्षमता के अनुसार पशु आहार दें जैसे प्रति लीटर दूध में आधा किलो खास पशु आहार (10 लीटर दूध पर 5 किलो पशु आहार).
गिर गाय के बछड़े और बछिया को उनसे अलग बांधने की सलाह दी जाती है. दरअसल बछड़े और बछिया को गायों के साथ इसलिए नहीं बांधा जाता ताकि वे मां का दूध ना पी सकें. जरूरत से ज्यादा दूध पीने पर उनकी हेल्थ खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा बच्चों को गंदगी और संक्रमण से बचाने के लिए भी अलग-अलग बांधने की सलाह दी जाती है.
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अगर आप पशुपालन करते हैं या डेयरी बिजनेस से बढ़िया लाभ कमाना चाहते हैं तो केवल दूध बेचने पर ध्यान ना दें. दूध के अलावा डेयरी प्रोडक्ट्स कमाई बढ़ाने में मददगार हैं. आप दूध को प्रोसेस कर छाछ, पनीर, घी और छेना जैसी चीजें बनाकर बेचते हैं तो अधिक कमाई की जा सकेगी. पशुओं का रख-रखाव और खान-पान बेहतर होगा तो दूध देने की क्षमता के साथ उसकी गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होगी जिससे दूध की कीमत भी बढ़ जाएगी.
अगर आप डेयरी फार्मर हैं और अच्छी कमाई चाहते हैं तो आपके सामने कुछ चुनौतियां भी आएंगी. पशुओं के खुराक और शेड के अलावा उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है. पशुओं में कई तरह की संक्रमित बीमारियां फैलती हैं इसलिए समय-समय पर पशु चिकित्सकों से उनकी जांच और टीकाकरण करवाना भी बहुत जरूरी है. कोशिश कीजिए की बीमार या संक्रमित पशुओं को बांधने के लिए अलग शेड की भी सुविधा हो. इसके अलावा डेयरी में हर वक्त साफ और ताजे पानी की व्यवस्था करनी भी जरूरी है.
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