Calf Care: जन्म के फौरन बाद गाय-भैंस के बच्चे को ठंड से बचाने के लिए करें ये काम, पढ़ें डिटेल Calf Care: जन्म के फौरन बाद गाय-भैंस के बच्चे को ठंड से बचाने के लिए करें ये काम, पढ़ें डिटेल
Calf Care in Winter सर्दियों के मौसम में गाय-भैंस के बच्चा होते ही उसे ठंड से बचाने के लिए जरूरी देखभाल की जरूरत होती है. अगर इसमें जरा सी भी लापरवाही बरती गई तो बच्चे की जन्म के साथ ही मौत भी हो सकती है. और देखभाल मानकों के मुताबिक की जाए तो बच्चा छह महीने का होते ही मुनाफा देने वाला बन जाता है.
छोटी नस्ल वाली गायनासिर हुसैन - New Delhi,
- Dec 11, 2025,
- Updated Dec 11, 2025, 1:29 PM IST
Calf Care in Winter अगर साइंटीफिक तरीके से पशुपालन किया जाए तो न सिर्फ दूध से बल्कि गाय-भैंस के बच्चों से भी मुनाफा कमाया जा सकता है. अगर बच्चों का ठीक से पालन किया तो उन्हें दूध उत्पादन के लिए बाड़े में शामिल किया जा सकता है. इतना ही नहीं बड़ा करके उन्हें बाजार में भी बेच सकते हैं. हालांकि आमतौर पर पशुपालक ये मानते हैं कि पशुपालन में सिर्फ बेचकर ही मुनाफा होता है. जबकि रीप्रोडक्शन (प्रजनन) भी पशुपालक के मुनाफे का एक बड़ा जरिया है. ये बात भी सही है कि हर पशुपालक चाहता है कि उसकी गाय या भैंस हर साल बच्चा दे.
जिससे उन्हें बेचकर या पाल-पोसकर उनके दूध उत्पादन से मुनाफा कमाया जा सके. लेकिन गाय-भैंस से हर साल बच्चा लेना इतना आसान भी नहीं है. साथ ही अगर हर साल बच्चा हो भी जाए तो फिर उसकी 20 दिन तक की देखभाल ऐसी है जैसे किसी को मौत के मुंह से निकालकर ला रहे हैं. क्योंकि इसमे गाय-भैंस के बच्चा होने पर उसे उम्र के हिसाब से खानपान और शेड उपलब्ध कराना होता है.
गाय-भैंस बच्चे को चाटे तो ये होता है फायदा
- जन्म के फौरन बाद बच्चे को ज्यादातर भैंस के सामने रखें.
- बच्चा सामने होने पर भैंस उसे चाटकर साफ करती है.
- बच्चे को चाटने से उसकी त्वचा जल्दी सूख जाती है.
- भैंस द्वारा बच्चे को चाटने पर उसके शरीर का तापमान नहीं गिरता है.
- चाटने से बच्चे का शरीर साफ हो जाता है खून दौड़ने लगता है.
- चाटने से भैंस और बच्चे के बीच दुलार बढ़ता है.
- बच्चे को चाटने से भैंस को सॉल्ट और प्रोटीन मिलता है.
- भैंस बच्चे को नहीं चाटती है तो उसे साफ तौलिए से रगड़ दें.
बच्चा सही तरह से लेगा सांस, करें ये काम
- जन्म लेते ही बच्चे के ऊपर से जेर-झिल्ली हटा दें.
- बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो तो उसकी छाती की मालिश कर दें.
- ठीक से सांस ना आने पर बच्चे की पिछली टांगें पकड़ कर उल्टा लटकाएं.
- नये ब्लेड या गर्म पानी में साफ की गई कैंची से बच्चे की नाल काट दें.
- जिस जगह से नाल काटी गई है वहां टिंचर आयोडीन लगा दें.
- बच्चे को सर्दी से बचाने के संसाधनों का इंतजाम करें.
बच्चे को दूध-खीस पिलाने का ये है तरीका
- जन्म लेने के एक-दो घंटे के अंदर बच्चे को भैंस की खीस जरूर पिलाएं.
- बच्चे को खीस पिलाने के लिए भैंस की जेर गिरने का इंतजार ना करें.
- बच्चे को वक्त से पिलाया गया खीस बीमारियों से लड़ने में मदद करता है.
- बच्चे को उसके वजन का 10 फीसद दूध पिलाना चाहिए.
- बच्चे को सुबह-शाम दो बार में दूध पिलाना चाहिए.
- पहला दूध पीने के बाद बच्चे का दो घंटे के अंदर गोबर करना जरूरी है.
जरूर पिलाएं ये दवा
10 दिन की उम्र पर बच्चे को पेट के कीड़ों की दवा जरूर पिला दें.
पेट के कीड़ों की दूसरी खुराक बच्चे को 21 दिन की उम्र पर पिलाएं.
ये भी पढ़ें- मीट उत्पादन में 5वीं से 4 पोजिशन पर आया भारत, दूध-अंडे में पहले-दूसरे पर बरकरार
ये भी पढ़ें- जरूरत है अंडा-चिकन को गांव-गांव तक पहुंचाकर नया बाजार तैयार किया जाए-बहादुर अली