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Goat Farming: इस महीने से बकरियों को कराया गाभिन तो मृत्यु‍ दर पर लग जाएगी रोक 

Goat Farming: इस महीने से बकरियों को कराया गाभिन तो मृत्यु‍ दर पर लग जाएगी रोक 

बकरी पालन में बकरी के बच्चों को मुनाफा ऐसे ही नहीं कहा जाता है. नस्लीय बकरी का एक बच्चा जब दो से तीन महीने का हो जाता है कि बाजार में उसकी कीमत चार से पांच हजार रुपये तक हो जाती है. और अगर आपने एक साल तक उस बच्चे  को अपने यहां पाल लिया तो फिर बकरा होने पर वो 15 हजार रुपये तक का बिक जाता है. 

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बकरी पालन में सबसे बड़ा मुनाफा बकरी के बच्चे हैं. एक बकरी से सालभर में जितने बच्चे मिलेंगे वो ही असल मुनाफा होगा. लेकिन बकरी पालन की एक असल सच्चाई ये भी है कि बाड़े में बकरी के बच्चों की मृत्यु दर को कम कर पाना या फिर रोक पाना बड़ा ही मुश्किल काम है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो अक्सर बकरी के बच्चे मौसमी बीमारियों की चपेट में आकर मर जाते हैं. सबसे बड़ी चुनौती बच्चों को सदियों में निमोनिया और गर्मी-बरसात में दस्त से बचाने की होती है. 

यही वजह है कि गोट साइंटिस्ट लगातार पशुपालकों से ये अपील करते हैं कि हीट में आने वाली बकरियों को एक खास तय वक्त पर ही गाभिन कराएं. जिससे बकरियों से मिलने वाले बच्चे भीषण गर्मी और कड़ाके की सर्दी से पहले मिल सकें.

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जानें कब करा सकते हैं बकरियों को गाभिन 

स्टार साइंटीफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद ने किसान तक को बताया कि 10 अप्रैल से लेकर और 15 जून तक ये वो वक्तन है जब बकरियां प्राकृतिक रूप से हीट में आती हैं. ऐसे में पशुपालक अपनी बकरियों को सुबह-शाम चेक करते रहें. क्योंकि अप्रैल से लेकर जून तक जिन बकरियों को गाभिन कराया जाएगा उससे सितम्बर से बच्चा मिलना शुरू हो जाएगा.

इससे होगा ये कि सितम्बर-अक्टूबर में बच्चा मिलने से एक तो बच्चा बारिश में होने वाली बीमारियों से बच जाएगा. वहीं सितम्बर-अक्टूबर में बच्चा होने से दिसम्बर-जनवरी की कड़ाके की सर्दी तक बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है. जिससे सर्दी में होने वालीं मौसमी बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है. 

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इसी तरह से अगर बकरी को अक्टूबर से नवंबर के बीच गाभिन कराएंगे तो वो मार्च-अप्रैल में बच्चा दे देगी. मार्च-अप्रैल में बच्चा मिलने से वो सर्दी से बच जाएगा. साथ ही मई-जून की गर्मियों और आने वाले बारिश के महीने तक बीमारियों से लड़ने लायक तैयार हो जाएगा. गोट एक्सपर्ट का कहना है कि बकरियों को गाभिन कराए जाने वाले कैलेंडर का पालन करने से बकरियों के शेड में बच्चों की मृत्यु दर को जीरो किया जा सकता है.