Goat Shead: गर्मियों में भी हो सकता है बकरी के बच्चों को निमोनिया, शेड में अपनाएं ये तरीके

Goat Shead: गर्मियों में भी हो सकता है बकरी के बच्चों को निमोनिया, शेड में अपनाएं ये तरीके

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि बकरियों के छोटे बच्चों को ज्यादा गर्मी और कड़ाके की ठंड नुकसान पहुंचाती हैं. जैसे नॉर्थ इंडिया में बकरियों के बच्चों में सबसे ज्यादा मृत्यु दर देखी गई है. क्योंकि यहां गर्मी और सर्दी के मौसम में बड़ा उलटफेर होता है.

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Goat Shead: गर्मियों में भी हो सकता है बकरी के बच्चों को निमोनिया, शेड में अपनाएं ये तरीकेबकरी का प्रतीकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तक

अगर किसी से कहा जाए कि गर्मियों में निमोनिया हो गया है. 99 फीसद लोग ये सुनकर हंसे बिना नहीं रहेंगे. लेकिन ये सच है, फिर वो चाहें इंसान हों या बकरी का बच्चा. गोट एक्सपर्ट की मानें तो जरा सी लापरवाही होने पर बकरी का बच्चा निमोनिया की चपेट में आ सकता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट की मानें तो गर्मी में भी बकरी के बच्चों को निमो‍निया होने पर उनकी मौत तक हो जाती है. इसलिए ये जरूरी है कि गर्मी के मौसम में बकरी पालक बकरियों के शेड में बदलाव जरूर करें. 

जब बकरियों के बच्चों में निमोनिया होता है तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है. बुखार आने लगता है. इतना ही नहीं उनकी नाक भी बहने लगती है. किसान इन लक्षणों को अच्छी तरह से पहचानते हैं. इसलिए लक्षण दिखाई देने पर इलाज में देरी न करें. 

गर्मियों में इसलिए होता है निमोनिया 

डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि कि हमारे देश में जब भी मौसम परिवर्तन होता है तो अचानक से होता है. जैसे अगर गर्मियां शुरू होती हैं तो तापमान अचानक तेजी के साथ बढ़ने लगता है. ऐसे मौसम में खासतौर पर बकरी के बच्चे अपने को उस मौसम में नहीं ढाल पाते हैं. जिसके चलते वो निमोनिया की चपेट में आ जाते हैं. निमोनिया शुरू होते ही उन्हें बुखार आने लगता है, नाक बहती है और सांस लेने में परेशानी होती है. जैसे ही यह लक्षण दिखाई दें तो फौरन ही डॉक्टर के पास ले जाएं. जब तक डॉक्टर दवाई खिलाने की कहे तो बकरी के बच्चे को लगातार बिना गैप के उसे दवाई खिलाएं. 

निमोनिया से बचाना है तो करें ये काम 

निमोनिया से बचाव के बारे में डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि गर्मी शुरू होते ही सबसे पहले तो बकरी पालक को बकरियों के आवास में बदलाव करना चाहिए. बकरियों के शेड को इस तरह से ढक दें कि उसमे गर्म हवाएं आसानी से न आएं. दूसरा यह कि दोपहर एक बजे से चार बजे तक बकरियों और उनके बच्चों को चराने न ले जाएं. सुबह और शाम में ही बकरियों को चराने ले जाएं. पानी खूब पिलाएं. ध्यान रहे कि मौसम के चलते पानी गर्म न हो. क्योंकि गर्मी के मौसम में बकरियों के चरने के वक्त में कमी आ जाती है तो उन्हें शेड में ही भरपूर चारा दें. कोशिश करें कि इस दौरान बकरियों और उनके बच्चों को पूरा न्यूट्रिशन दें. इसके लिए चाहें तो पैलेट्स फीड भी खिला सकते हैं.  

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