ग्रामीण इलाकों में बकरियों का योगदान काफी अहम है. अपने जीवन को सुचारु ढंग से चलाने के लिए कई किसान खेती के साथ बकरी पालन करते हैं. वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो पूरी तरह बकरी पालन पर निर्भर हैं. बकरियों को गरीब आदमी की आमदनी माना जाता है. बकरी पालन प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है. बकरी पालन गरीब, भूमिहीन और सीमांत किसानों को नियमित आय का एक स्रोत प्रदान करता है. बकरी पालन का मतलब आम तौर पर दूध, मीट और फाइबर प्राप्त करने के उद्देश्य से बकरियों को पालना है. बकरी पालन एक लाभदायक व्यवसाय बन गया है और इसमें बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है. लेकिन इसके लिए जरूरी है की बकरी का खास खयाल रखा जाए. खासकर बकरी को गर्भ के दौरान और बच्चा देने के बाद क्या खिलाएं और क्या नहीं यह जानना बहुत जरूरी है.
गर्भवती बकरियों को रखने के लिए अलग जगह बनानी चाहिए. उस स्थान को अच्छी तरह साफ करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि नवजात बच्चों में बीमारी होने की संभावना रहती है. इसके अलावा बकरियों को साफ-सुथरा और नहलाकर रखना चाहिए तथा उनके बैठने के लिए मोटे बोरे बिछाना चाहिए.
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नवजात बच्चों को अधिक देखभाल की जरूरत होती है. इनमें बीमारी का खतरा अधिक रहता है. ऐसे में नाक को साफ करें और सूखी रुई या कपड़े से धीरे-धीरे रगड़कर बच्चे की नाक में चिपकी नाल की झिल्ली को हटा दें. बच्चे को पिछले पैरों से पकड़ें और कुछ सेकंड के लिए सिर को नीचे की ओर रखें, इससे श्वसन पथ को साफ करने में मदद मिलेगी. आधे घंटे में बच्चा उठकर चलने लगेगा. मादा को बच्चे को चाटकर सूखने दें. गर्भनाल के सिरे को टिंचर आयोडीन में डुबोएं. 12 घंटे बाद इसे दोबारा दोहराएं. बच्चे को जन्म के 30 मिनट के भीतर कोलोस्ट्रम का पहला पेय मिलना चाहिए. यदि बच्चे ठीक से नहीं चूसते हैं तो उनके निपल्स को हाथों से पकड़कर मुंह में दबाना चाहिए. एक बार जब उन्हें थोड़ा सा दूध मिल जाए, तो उन्हें सामान्य चूसने की विधि पर स्विच करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.
नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए सुरक्षा रेलिंग उपलब्ध कराएं.जैसे ही गर्भनाल को तेज चाकू से काटा जाए, उसे आयोडीन टिंचर से उपचारित/कीटाणुरहित करें.बच्चों को चरम मौसम की स्थिति से बचाएं, खासकर पहले दो महीनों के दौरान.उम्र के पहले दो सप्ताह के दौरान बच्चों के सींग हटा दें.बेहतर गुणवत्ता वाले मीट उत्पादन के लिए नर बछड़ों का बधियाकरण किया जाना चाहिए.अनुशंसित कार्यक्रम के अनुसार बच्चों का टीकाकरण करवाएं. 8 सप्ताह की उम्र में बच्चों का दूध छुड़ाएं. प्रजनक के रूप में चयनित वयस्क स्टॉक को प्रतिस्थापित करने के लिए उचित रिकॉर्ड बनाए रखते हुए प्रारंभिक शारीरिक वजन और दूध छुड़ाने के वजन के आधार पर बच्चों का उचित चयन शुरू किया जाना चाहिए.जन्म लेने वाले सभी सूअरों के उचित पालन-पोषण के लिए स्तनपान कराने वाली सूअरों की अतिरिक्त फ़ीड आवश्यकताओं को सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
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