scorecardresearch
छोटे किसान इस नस्ल की बकरी का करें पालन, 6 महीने में 25 किलो बढ़ जाता है वजन, मांस भी है बहुत टेस्टी

छोटे किसान इस नस्ल की बकरी का करें पालन, 6 महीने में 25 किलो बढ़ जाता है वजन, मांस भी है बहुत टेस्टी

संकर नस्‍ल की बकरियां बहुत ही कम बीमार पड़ती हैं. खास बात यह है कि इनका मांस भी स्वादिष्ट होता है. इसके चलते मार्केट में संकर नस्‍ल के बकरे का रेट भी ज्यादा होता है. अगर किसान संकर नस्ल के बकरे का पालन करते हैं, तो कम लागत में बंपर कमाई होगी.

advertisement
बकरी पालन में है बंपर कमाई. (सांकेतिक फोटो) बकरी पालन में है बंपर कमाई. (सांकेतिक फोटो)

भारत में कम जोत वाले और सीमांत किसान खेती के साथ-साथ बड़े स्तर पर बकरी पालन भी करते हैं. इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है. लेकिन इसके बावजूद भी सभी किसानों को बकरियों के बारे में उतनी जानकारी नहीं है. ऐसे में रखरखाव और दूषित चारा खाने की वजह से कई बार बकरियां बीमार पड़ जाती हैं. इससे उनकी मौत भी हो जाती हैं. पर अब किसानों को चींता करने की जरूरत नहीं है. आज हम किसानों को ऐसी उन्नत नस्ल की बकरी के बारे में बताएंगे, जो बहुत कम बीमार पड़ती है. साथ ही इसका वजन भी तेजी से बढ़ता है.

पशु एक्सपर्ट की माने तो बकरी हमेशा उन्नत नस्ल का ही पालन करना चाहिए. ऐसे किसान संकर नस्‍ल की बकरी भी पाल सकते हैं. क्योंकि संकर नस्‍ल के बकरे और बकरियों में किसी भी रोग से लड़ने की अधिक शक्ति पाई जाती है. ऐसे में संकर नस्‍ल की बकरियां बहुत ही कम बीमार पड़ती हैं. खास बात यह है कि इनका मांस भी स्वादिष्ट होता है. इसके चलते मार्केट में संकर नस्‍ल के बकरे का रेट भी ज्यादा होता है. अगर किसान संकर नस्ल के बकरे का पालन करते हैं, तो कम लागत में बंपर कमाई होगी.

ये भी पढ़ें- Farmers Protest: मॉनसून सत्र से पहले क‍िसानों ने सरकार के ख‍िलाफ खोला मोर्चा, व‍िपक्षी सांसदों से की बड़ी मांग

तेजी से बढ़ता है बकरी का वजन

जानकारों का कहना है कि संकर नस्‍ल की बकरी के पालन के परिणाम बहुत उत्‍साहजनक हैं. झारखंड के देवगढ़ जिले में बड़े स्तर पर भूमिहीन गरीब महिलाएं संकर नस्ल की बकरियां पाल रही हैं. इस नस्ल की बकरियां उन महिलों के लिए परिवार की आमदनी का साधन बन गई हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि संकर नस्‍ल के बकरे-बकरियों का वजन 6 महीने में 25 किलो हो जाता है. यानी आप 6 महीने के बाद इसे बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे भी बकरे भारत में मांस का मुख्‍य स्रोत हैं. बकरे का मांस पसंदीदा मांसों में से एक है और इसकी घरेलू मांग बहुत अधिक है.

हर महीने करें बकरी का वजन

वैज्ञानिक के मुताबिक, बकरियों के स्वास्थ्य की जानकारी के लिए हर महीने उनका वजन करना चाहिए. तीन माह से अधिक उम्र के मेमनों को ईटी एवं पीपीआर जैसी भयानक बीमारी से बचाने के लिए टीका लगाना जरूरी है. इसके अलावा गोट पॉक्स, एफएमडी और गलघोटू जैसे रोगों का भी टीका लगवाएं. वहीं, बकरियों के बाड़े के चारों ओर दीवार 5-10 इंच मोटी एवं 3 फीट ऊंची रखनी चाहिए. इसके ऊपर 4 फीट तार की जाली या बांस की डंडी लगाना चाहिए. इससे ताजी हवा आती है.

ये भी पढ़ें- घर के किसी कोने में उगा सकते हैं दूधिया मशरूम, शुरू करने से पहले इन दो विधियों से करें भूसे का उपचार