Farmers Protest: मॉनसून सत्र से पहले क‍िसानों ने सरकार के ख‍िलाफ खोला मोर्चा, व‍िपक्षी सांसदों से की बड़ी मांग

Farmers Protest: मॉनसून सत्र से पहले क‍िसानों ने सरकार के ख‍िलाफ खोला मोर्चा, व‍िपक्षी सांसदों से की बड़ी मांग

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं ने सोमवार को देशभर में गैर-भाजपा सांसदों को मांगपत्र सौंपकर उनसे संसद के आने वाले सत्र में किसानों-मजदूरों की मांगों पर प्राइवेट बिल लाने की मांग की. मांग पत्र में बताया क‍ि क‍िसान क्यों आंदोलन करने के ल‍िए मजबूर हुए. 

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Farmers Protest: मॉनसून सत्र से पहले क‍िसानों ने सरकार के ख‍िलाफ खोला मोर्चा, व‍िपक्षी सांसदों से की बड़ी मांगएसकेएम-गैर राजनीत‍िक ने गैर भाजपा सांसदों को सौंपा मांगपत्र.

एमएसपी की लीगल गारंटी सह‍ित 13 मांगों को लेकर लगभग पांच महीने से पंजाब के शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने मॉनसून सत्र से पहले सरकार के ख‍िलाफ मोर्चा खोल द‍िया है. दोनों क‍िसान संगठनों के नेताओं ने सोमवार को देशभर में गैर-भाजपा सांसदों को मांगपत्र सौंपकर उनसे संसद के आने वाले सत्र में किसानों-मजदूरों की मांगों पर प्राइवेट मेंबर बिल लाने की मांग की. उनसे क‍िसानों के मुद्दों को सदन में उठाने की मांग की. सांसदों ने किसानों से वादा किया कि वे संसद के आगामी सत्र में किसानों-मजदूरों की मांगों को जोर-शोर से उठाएंगे. ताक‍ि सरकार क‍िसानों की मांगों को मान ले. हिसार में कांग्रेस सांसद जय प्रकाश ने किसानों से मांगपत्र लिया.

गैर भाजपाई सांसदों को द‍िए गए मांग पत्र में क‍िसान आंदोलन पार्ट-1 के बाद केंद्र सरकार की वादाख‍िलाफी का ज‍िक्र क‍िया गया है. इसमें कहा गया है क‍ि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एवं एमएसपी गारंटी कानून बनवाने के लिए 2020-21 में किसानों ने दिल्ली के बॉर्डर पर 378 दिनों तक ऐतिहासिक आंदोलन लड़ा था. उस समय केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिए थे.साथ ही एमएसपी गारंटी कानून बनाने के लिए एक कमेटी के गठन का एलान किया था. 

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मुकर गई सरकार 

दोनों संगठनों ने अपने मांग पत्र में कहा है क‍ि अगले 2 वर्षों तक 1-1 दिन के कई सांकेतिक कार्यक्रमों के माध्यम से हम ने सरकार का ध्यान एमएसपी गारंटी कानून बनाने की तरफ आकर्षित करना चाहा, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. धैर्य की सभी सीमाएं पार होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने 13 फरवरी को "दिल्ली कूच" का एलान कर द‍िया. लेक‍िन, हर‍ियाणा सरकार ने क‍िसानों के रास्ते में कील-कांटे ब‍िछा द‍िए. उन पर आंसू गैस के अनग‍िनत गोले दागे. तब क‍िसानों ने शंभू बॉर्डर पर ही बैठ जाने का फैसला क‍िया. 

चार दौर की बातचीत 

एसकेएम-गैर राजनीत‍िक ने कहा क‍ि 13 फरवरी से शुरू हुए किसान आंदोलन पार्ट-2 के शुरुआती दिनों में केंद्र सरकार के मंत्रियों से 4 दौर की वार्ता किसान नेताओं की हुई. लेकिन, वे सभी वार्ताएं बेनतीजा रहीं. अपनी मांगों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए अपने ही देश की राजधानी दिल्ली में जा रहे किसानों के ऊपर हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा फायरिंग की गई. पैलेट गनों का इस्तेमाल किया गया और जहरीली गैसों का इस्तेमाल किया गया. व‍िपक्षी दलों के सांसदों को द‍िए गए मांगपत्र में कहा गया है क‍ि हरियाणा पुलिस की तरफ से की गई हिंसा में 1 किसान शुभरकन सिंह के सिर में गोली लगने से वो शहीद हो गए. जबक‍ि 5 किसानों की आंखों की रोशनी चली गई और 433 किसान घायल हो गए.  

प्राइवेट मेंबर ब‍िल लाने की मांग 

भाजपा व‍िरोधी पार्ट‍ियों ने लोकसभा चुनाव से पहले किसानों एवं मजदूरों के मुद्दे अपने मैनिफेस्टो में शामिल किए थे. आप को जनता ने चुन कर अपने प्रतिनिधि के तौर पर संसद में भेजा है, इसलिए आपकी ज‍िम्मेदारी बनती है कि आप एमएसपी गारंटी कानून, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट एवं किसान-मजदूरों की कर्जमाफी समेत तमाम मुद्दों पर संसद के मॉनसून सत्र में प्राइवेट बिल पेश करें, ताकि किसानों एवं मजदूरों की मांगें पूरी हो सकें. यदि आप संसद में किसानों-मजदूरों के मुद्दों पर प्राइवेट मेंबर बिल नहीं लाते हैं तो फिर हमें ये मानने पर मजबूर होना पड़ेगा कि किसानों-मजदूरों के मुद्दों पर आप गंभीर नहीं हैं.  

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