पशुओं में होने वाली खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) बीमारी के चलते पशु पालकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. इसके चलते देश को भी हानि होती है. इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार ने 2020-21 से इस बीमारी के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू किया था. मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के सचिव राजेश कुमार सिंह की मानें तो इस टीकाकरण से एक बड़ी कामयाबी मिली है. अभियान के दूसरे चरण में करीब 24 करोड़ पशुओं को एफएमडी का टीका लग चुका है. कुछ जगहों पर तीसरा चरण भी शुरू हो गया है. जल्द ही इंटरनेशन लेवल पर देश के कई राज्यों को एफएमडी फ्री जोन घोषित कराने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
एफएमडी टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने के साथ ही एक ओर जहां डेयरी और मीट एक्सपोर्ट की डिमांड में तेजी आएगी, वहीं पशु पालक को भी पशु की हानि नहीं होगी. विभाग का कहना है कि जल्द ही इस टीकाकरण अभियान को और बड़ा रूप दिया जाएगा.
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राजेश कुमार सिंह ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि साल 2020-21 में 16.91 करोड़ पशुओं का ही टीकाकरण हो पाया था. अभियान के बीच में ही कुछ तकनीकी कमी के चलते टीकाकरण कमजोर पड़ गया था, लेकिन टीकाकरण के दूसरे चरण में ज्यादातर राज्यों ने खूब उत्साह दिखाया है. अगर हम दूसरे चरण की बात करें तो 25.01 करोड़ पशुओं में से 23.96 गाय-भैंस का एफएमडी का टीकाकरण हो चुका है. यह आंकड़ा करीब 94 फीसद है.
अच्छी बात यह है कि दक्षिण के ज्या़दातर राज्यों समेत 24 राज्यों ने तो दूसरे चरण का लक्ष्यक कई महीने पहले ही पूरा कर लिया था. ऐसे राज्यों में अब तीसरा चरण शुरू हो चुका है. जल्दे ही बाकी बचे राज्योंत में भी तीसरा चरण शुरूहो जाएगा.
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सचिव राजेश कुमार सिंह के अनुसार अभी ओडिसा, बिहार, पश्चिेम बंगाल, सिक्किबम, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीोसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड में एफएमडी टीकाकरण का दूसरा चरण भी पूरा नहीं हुआ है.
मत्सायपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अनुसार यूपी और चंडीगढ़ में एफएमडी के खिलाफ 100 फीसद टीकाकरण हो चुका है. यूपी की बात करें तो यहां गाय-भैंस की संख्या करीब 4.69 करोड़ हैं. यूपी में सभी पशुओं का टीकाकरण हो चुका है. वहीं चंडीगढ़ में 18900 गाय-भैंस हैं. संख्या के आधार पर सभी को एफएमडी का टीका लगा दिया गया है.
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