Fish Farming: जून में मछलियों की देखभाल के लिए अपनाएं एक्सपर्ट के ये 12 टिप्स
गर्मी के इस मौसम में खासतौर पर उत्तर भारत के यूपी, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मछली पालकों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी को देखते हुए फिश एक्सपर्ट जून तक तालाब में कई तरह के बदलाव करने की सलाह देते हैं.
जून में मछलियों का सबसे बड़ा दुश्मन मौसम है. ये वो मौसम है जब मछलियों को तालाब में दोहरी परेशानी होती है. एक तो तेज गर्मी के चलते तालाब का पानी गर्म हो जाता है और गर्म हवाएं भी परेशान करती हैं. बहुत सारे ऐसे शहर हैं जहां गर्मियों में तापमान 40 डिग्री को भी पार कर जाता है. इसलिए फिशरीज एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि जून में मछलियों की देखभाल से जुड़ी सलाह जरूर अपनानी चाहिए. खासतौर पर ऐसे वक्त उन मछलियों को खास देखभाल की जरूरत होती है जो अंडे देने (प्रजनन) के लिए पाली जाती हैं.
फिशरीज एक्सपर्ट मुताबिक 31 डिग्री से ऊपर का तापमान मछलियों के लिए जानलेवा होता है. और इस वक्त तो तापमान 35 से लेकर 42 डिग्री तक जा रहा है. ऐसे में मछलियों के तालाब का पानी उबलने जैसा हो जाता है. पानी तेज गर्म होने के चलते उसमे ऑक्सींजन की मात्रा भी कम हो जाती है.
जून में ऐसे करें मछलियों की देखभाल
मछली प्रजनकों की खास देखभाल करें.
भारतीय और विदेशी मछलियों का प्रजनन शुरू कर दें.
हैचरी-होंपा ब्रिडिंग के प्रबंधन और संचालन के लिए सलाह लेते रहें.
मछली बीज तालाब में डालने से पहले जलीय खरपतवार हटा दें.
तालाब में से जलीय कीट और आंवाछित मछलियों को साफ कर दें.
हैचरियों से स्पॉन (बीज) लाकर नर्सरी तालाबों में डाल दें.
ग्रो आउट तालाब में इयरलिंग मछली बीज (100 ग्राम का बीज) 2000 की संख्या एक एकड़ में और 50 ग्राम का बीज 4000 की संख्या में प्रति एकड़ की दर से तालाब तैयार कर डाले.
मछली बीज परिवहन का कार्य गर्मियों में हमेशा रात में या फिर सुबह 10 बजे से पहले करें.
तालाब में मछलियों को संक्रमित होने से बचाने के लिए 30-45 दिन पर 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटाशियम परमेगनेट का छिड़काव करते रहें.
मौसम खराब रहने जैसे ज्यादा गर्मी, आद्रता और बारिश में फीड का इस्तेमाल आधा कर दें.
तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने वाली दवाई प्रति एकड़ में हर 15 दिन बाद 400 ग्राम के हिसाब से डाल दें.
प्रजनक मछली को हैचरी में प्रजनन के बाद एक से चार मिलीग्राम प्रति लीटर की दर से पोटाशियम परमेंगनेट के घोल में एक मिनट तक उपचारित कर प्रजनक तालाब में डालना चाहिए. ऐसा करने से प्रजन्न मछली में संक्रमण की संभावना कम हो जाती है.
तालाब के पानी का रंग गहरा हरा या हल्का लाल होने पर चूना का प्रयोग बंद कर दें और 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 250 ग्राम एट्राजीन की दर से धूप रहने पर छिडकाव प्रति एकड़ की दर से करें.