मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है. ये लाइन सभी ने बचपन में जरूर सुनी और पढ़ी होगी. बेशक पानी ही मछली का जीवन है, लेकिन ये भी सच है कि इसी पानी में मछली बीमार भी होती है और उसकी जान तक पर बन आती है. ऐसा नहीं है कि मछली पानी में रहती है तो सर्दियों के मौसम में उसे ठंड नहीं लगती होगी, या फिर ठंड लगने से वो बीमार नहीं होती होगी. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो 24 घंटे पानी में रहने वाली मछलियों को भी ठंड लगती है. ठंड लगने से मछलियां बीमार भी होती हैं.
शायद सुनने में ये सब बातें अटपटी लगती हो, लेकिन सच्चाई ये ही है. नवंबर से लेकर जनवरी तक मछलियों को ज्यादा ठंड लगती है. इस दौरान मछलियों को ठंड और बीमारी से बचाने के लिए कई तरह के उपाय अपनाएं जाते हैं. इन उपायों में सुबह के वक्त कराई जाने वाली कसरत भी शामिल है. खास बात ये है कि मछलियां खुद भी ठंड से बचने के लिए अपनी रहने की जगह बदल लेती हैं.
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मछली पालक और एक्सपर्ट एमडी खान ने किसान तक को बताया कि नवंबर से ही तालाब का पानी ठंडा होना शुरू हो जाता है. खासतौर पर सुबह और शाम के वक्त पानी कुछ ज्यादा ही ठंडा हो जाता है. जबकि तालाब की मछलियों को आराम से रहने के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान वाले पानी की जरूरत होती है. इसलिए जैसे ही पानी का तापमान 25 डिग्री से नीचे जाने लगता है तो मछलियों को गर्माहाट देने के लिए उन्हें गर्म पानी से नहलाना शुरू कर दिया जाता है. इसके लिए सुबह-शाम मछलियों को पम्प की मदद से अंडर ग्राउंड वॉटर से नहलाया जाता है. जमीन से निकला पानी गुनगुना होता है, इसलिए तालाब के ठंडे पानी में मिलकर यह पूरे पानी को सामान्य कर देता है. लेकिन ये प्रक्रिया सिर्फ साइज में छोटे तालाब में ही अपनाई जाती है.
मछली पालक मुरली पाल ने बताया कि जब तालाब का साइज बड़ा हो तो मछलियों को ग्राउंड वॉटर से से नहलाना मुमकिन नहीं होता है. और ना ही ये भी मुमकिन है कि ग्राउंड वॉटर को तालाब के ठंडे पानी में मिलाकर सामान्य कर दिया जाए. अब ऐसे में पानी को सामान्य करने और मछलियों में गर्मी लाने के लिए तालाब में जाल डाला जाता है. ऐसा करने से दो चीजें होती हैं. एक तो जाल डालते ही मछलियां तालाब में यहां-वहां तेज-तेज तैरना शुरू कर देती हैं. दूसरा जाल डालने से पानी में उथल-पुथल होती है और इससे ठंडा पानी सामान्य होने लगता है. अब अगर तालाब कुछ ज्यादा ही बड़े हैं और कर्मचारियों की संख्या कम है तो फिर भैंसों को तालाब में उतार दिया जाता है. तालाब में अपने बीच बड़े पशु को देखकर मछलियों के बीच खलबली मच जाती है और वो पानी में यहां-वहां भागना शुरू कर देती हैं.
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मुरली ने बताया कि जब मछलियों को लगता है कि तालाब का पानी ठंडा हो गया है या होने लगा है तो वो अपनी रहने की जगह को बदल देती हैं. प्रजाति के हिसाब से मछलियों की तालाब में अपनी रहने की अलग जगह होती है. कोई सतह पर रहना पसंद करती है तो कोई तली में. कुछ ऐसी भी हैं जो पानी के बीच में रहती हैं. यही वजह है कि पानी ठंडा होते ही सतह और बीच में रहने वाली मछलियां तालाब की तली में चली जाती हैं. क्योंकि तालाब के नीचे का पानी सतह के मुकाबले सामान्य रहता है.
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