भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर किसान खेती के साथ-साथ मछली पालन भी करते हैं. इससे किसानों की अच्छी कमाई हो जाती है. खास बात यह है कि मछली पालन धीरे-धीरे बिजनेस बन गया है. ऐसे भी केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी देती हैं. लेकिन किसानों को मछली पालन का व्यवसाय शुरू करने से पहले कुछ खास बातों की जानकारी जरूर होनी चाहिए. नहीं तो उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसलिए आज हम किसानों को कुछ ऐसी जानकारी देंगे, जिसे अपना कर वे मछली पालन से बंपर कमाई कर सकते हैं.
दरअसल मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे किसान कम बजट में ही शुरू कर सकते हैं. किसान तालाब के साथ-साथ घर के अंदर प्लास्टिक के टैंक में भी मछली पालन का बिजनेस शुरू कर सकते हैं. लेकिन उन्हें मछली पालन शुरू करने से पहले इसकी प्रजातियों का खास ध्यान रखना होगा. अगर किसान अच्छी प्रजाति की मछली नहीं पालेंगे, तो उन्हें नुकसान भी हो सकता है. क्योंकि मार्केट में प्रजातियों के आधार पर ही मछलियों का रेट मिलता है. इसिलए किसान नीचे बताए गए प्रजाति की मछलियों का ही पालन करें.
रोहू, मछली की एक बहुत ही बेहतरीन प्रजाति है. यह पूरे भारत में अपने स्वाद के लिए फेमस है. पश्चिम बंगाल, बिहार, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और असम में लोग रोहू मछली का बड़े स्तर पर पालन करते हैं. रोहू का पालन करने के लिए बड़े तालाब की जरूरत नहीं होती है. आप छोटे जलस्त्रोतों में भी इसका बिजनेस शुरू कर सकते हैं. खास बात यह है कि देश भर में रोहू मछली के बीजों की मांग रहती है. यह अन्य मछलियों की तुलना में अधिक पौष्टिक होती है. साथ ही इसका वजन भी तेजी के साथ बढ़ता है. मछली 9 हीने में ही बढ़कर ढाई किलोग्राम की हो जाती है. किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है.
कॉड मछली दुनिया में सबसे अधिक पाले जाने वाली प्रजाति है. इसका वजन एक साल में 2 से 4 किलो तक हो जाता है. कॉडफिश में प्रोटीन और वसा प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. यह हृदय स्वास्थ्य को बेहतर रखने में सहायक है. यही वजह है कि डॉक्टर भी मरीजों को कॉडफिश खाने की सलाह देते हैं.
कतला मछली बांग्लादेश की प्रसिद्ध मछली है. वहां पर इसका बड़े स्तर पर पालन किया जाता है. लेकिन भारत में भी कतला मछली का व्यापार किया जाता है. खाने में इसका स्वाद बहुत ही टेस्टी होता है. इसकी खासियत है कि भोजन के लिए यह पानी की ऊपरी सतह पर तैरती रहती है. पानी के किनारे सतह पर पाए जाने वाले वनस्पति इसके विकास में सहायक होते हैं. 25 से 32 डिगरी सेल्सियस तापमान में कतला मछली का ग्रोथ तेजी से होता है.
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तिलापिया मछली को पूरी दुनिया में खाया जाता है. खपत के मामले में यह दुनिया की तीसरी मछली है. इसे प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना गया है. इस मछली के लिए अनाज आधारित आहार की आवश्यकता होती है.
आज कल लोग घरों में शौक से सजावटी मछियों को भी पाल रहे हैं. इसलिए अगर आप सजावटी मछलियों का भी बिजनेस शुरू कर सकते हैं. यह मछली 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान रहना पसंद करती है. ये मछलियां सोने और चांदी-सफेद जैसे धात्विक रंगों में पाई जाती हैं. शहरी क्षेत्रों में ये मछलियां शौकिया ज्यादा पाली जाती हैं. ऐसे में जानकारों का कहना है कि इन मछिलयों का पालन शुरू करते ही आपकी लाखों में कमाई होगी. यानी आप मालामाल हो जाएंगे.
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