पानी में मछलियां भी बीमार होती हैं, वो भी ठंडे पानी से. शायद सुनने में आपको अटपटा लग रहा हो, लेकिन ये हकीकत है. तालाब में पाली जाने वाली मछलियां सर्दियों में बीमार भी हो जाती हैं. इसलिए जरूरी है कि जैसे-जैसे मौसम का तापमान बदले तो पानी का तापमान भी जांचते रहें. क्योंकि इसका असर तालाब के पानी में बनने वाली ऑक्सीजन पर भी पड़ता है. इस दौरान मछलियों को बीमारी से बचाने के लिए मछली पालकों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. मछलियां भी ठंड से बचने के लिए तालाब में अपनी जगह बदल लेती हैं.
मछलियों की ठंड दूर करने के लिए मछली पालक हर रोज सुबह के वक्त मछलियों को ठंडे पानी से नहलाते हैं. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो इसी तरह के कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें अपनाकर सर्दियों के मौसम में मछलियों को बीमारियों से दूर रखकर उनकी अच्छी ग्रोथ बढ़ाई जा सकती है.
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फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि असल में होता ये है कि तालाब का पानी रुका हुआ होता है, जिसके चलते सर्दी के मौसम में यह जल्दी ठंडा हो जाता है. ज्यादातर तालाब खुले में होते हैं तो पानी ठंडा हो जाता है. ठंडे पानी से मछलियों को परेशानी होने लगती है. ऐसे में सुबह-शाम मछलियों को पम्प की मदद से अंडर ग्राउंड वाटर से नहलाया जाता है. जमीन से निकला पानी गुनगुना होता है. इसलिए तालाब के ठंडे पानी में मिलकर यह पूरे पानी को सामान्य कर देता है. दिसम्बर से जनवरी के दौरान जब भी ऐसा लगता है कि तालाब का पानी कुछ ज्यादा ही ठंडा हो रहा है तो उसमे जमीन से निकला पानी मिला दिया जाता है. लेकिन बड़े तालाब में जमीन से निकला पानी मिलाना आसान नहीं होता है. इसलिए बड़े तालाबों में जाल डालकर उस पानी में उथल-पुथल कर काफी हद तक सामान्य कर दिया जाता है.
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