राज्य के अफसरों के बाद अब मौका था किसानों का. केन्द्रीय मत्स्य पालन विभाग के सेक्रेटरी ने किसानों से बातचीत कर उनकी उन परेशानियां को जाना जो झींगा उत्पादन में रोढ़ा बन रही हैं. साथ ही उन मांगों पर भी विचार किया जो झींगा पालन में मददगार बनेंगी. केन्द्र सरकार कोस्टल एरिया के साथ ही नॉर्थ इंडिया के चार बड़े राज्यों में झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए बीते कई साल से लगातार कोशिश कर रही है. इससे पहले चारों राज्यों के मछली पालन विभाग से जुड़े अफसरों से बातचीत की गई थी.
विभाग की मानें तो चारों राज्यों में 58 हजार हेक्टेयर से ज्यादा ऐसी जमीन है जिसका पानी झींगा पालन में मददगार साबित होगा. और अच्छी बात ये है कि चारों राज्यों में छोटे-छोटे टुकड़ों में झींगा पालन हो भी रहा है. लेकिन जरूरत है जागरुकता बढ़ाने और किसानों की परेशानियों को दूर करने की. इसी के चलते सात अप्रैल को चारों राज्यों के किसानों से इस पर चर्चा की गई थी.
सेक्रेटरी अभिलक्ष लिखी से बात करते हुए हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों ने कई मुद्दों को उनके सामने उठाया. ये वो मुद्दे हैं जो झींगा पालन की राह में रोढ़ा बन रहे हैं. किसानों का कहना है कि ज्यादा स्थापना लागत, कम सब्सिडी कवरेज और खारे पानी में जलीय कृषि के लिए 2-हेक्टेयर सीमा क्षेत्र के प्रतिबंध जैसे मुद्दों पर पहले काम होना जरूरी है. इसके साथ ही खारेपन के स्तर में उतार-चढ़ाव, भूमि पट्टे की महंगी दरें, सब्सिडी में कमी और उच्च गुणवत्ता वाले बीज की कमी भी परेशानी है. किसानों ने विभाग का ध्यान इस ओर भी दिलाया कि जब उत्पादन होगा तो झींगा बाजार, कोल्ड स्टोरेज, सप्लाई इंफ्रास्ट्रक्चर, बढ़ती इनपुट लागत और उनके प्रोडक्ट की कम कीमतों पर विचार करना भी बहुत जरूरी है.
चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश ने खारे पानी में जलीय कृषि की संभावनाओं पर बात करते हुए बताया कि मथुरा, आगरा, हाथरस और रायबरेली जैसे जिलों में 1.37 लाख हेक्टेयर जमीन है. वहीं राजस्थान ने चूरू और गंगानगर जैसे नमक प्रभावित जिलों में झींगा पालन बढ़ने की जानकारी दी. वहीं करीब 500 हेक्टेयर जमीन पर पेनियस वन्नामेई, मिल्कफिश और पर्ल स्पॉट की खेती के बारे में बताया. साथ ही चूरू में एक डायग्नोस्टिक लैब की जानकारी भी साझा की. इस लैब में पानी और मिट्टी की जांच की जाती है. पंजाब के बारे में बताया कि मुक्तसर साहिब और फाजिल्का जैसे दक्षिण-पश्चिमी जिलों में झींगा पालन बढ़ने के बारे में बताया. 30 टन के कोल्ड स्टोरेज, आइस प्लांट और ट्रेनिंग सेंटर के बारे में भी बात हुई. हरियाणा के बारे में बताया गया कि राज्य ने पीएमएमएसवाई के तहत 57.09 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 13,914 टन झींगा उत्पादन हासिल किया है.
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