Dangi Cow: डांगी गाय का पालन कर किसान बढ़ा सकते हैं अपनी आमदनी, जानें इस देसी नस्ल की पहचान और विशेषताएं

Dangi Cow: डांगी गाय का पालन कर किसान बढ़ा सकते हैं अपनी आमदनी, जानें इस देसी नस्ल की पहचान और विशेषताएं

Dangi Cow Dairy Farming: गाय की देसी नस्ल डांगी, दुधारू गायों में से एक है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के मुताबिक डांगी नस्ल की गाय औसतन एक ब्यान्त में 800 लीटर तक दूध देती है. ऐसे में आइए जानते हैं गाय की देसी नस्ल डांगी की पहचान और विशेषताएं-

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Dangi Cow: डांगी गाय का पालन कर किसान बढ़ा सकते हैं अपनी आमदनी, जानें इस देसी नस्ल की पहचान और विशेषताएंडांगी गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर

Dangi Cow Dairy Farming: देश में डेयरी व्यवसाय पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी से बढ़ा है. वहीं आने वाले कुछ वर्षों में और ज्यादा वृद्धि होने की संभावनाएं हैं. अगर आप पशुपालक हैं और डेयरी व्यवसाय में गाय पालन के माध्यम से अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं, तो गाय की देसी नस्ल डांगी का पालन कर सकते हैं. डांगी नस्ल के मवेशी गुजरात के डांग; महाराष्ट्र के ठाणे, नासिक, अहमदनगर और हरियाणा के करनाल और रोहतक के आसपास के इलाकों में पाए जाते हैं. वहीं डांगी नस्ल का नाम गुजरात राज्य के एक क्षेत्र डांग से लिया गया है, जो इस नस्ल का घरेलू क्षेत्र है. इस नस्ल को स्थानीय और गिर मवेशियों के बीच प्रजनन का परिणाम माना जाता है. वहीं डांगी नस्ल के मवेशी एक मध्यम आकार के तेजी से काम करने वाले पशु हैं. इस नस्ल के मवेशी काफी विनम्र और शक्तिशाली होते हैं. भारी वर्षा की स्थिति में भी अच्छी तरह से खड़े रहते हैं. वहीं बैलों का उपयोग सभी सामान्य कृषि कार्यों के लिए किया जाता है और घाट क्षेत्रों में धान की खेती और सड़क परिवहन के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है.

अगर गाय की देसी नस्ल डांगी की दूध देने की क्षमता की बात करें तो एनडीडीबी के अनुसार इस नस्ल की गायें औसतन एक ब्यान्त में 430 लीटर तक दूध देती हैं, जबकि अच्छी तरह से देखभाल की गई और अच्छी तरह से खिलाई गई गायों का दूध 800 लीटर तक होता है. ऐसे में आइए डांगी गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं- 

डांगी गाय की पहचान और विशेषताएं
डांगी गाय की पहचान और विशेषताएं

डांगी गाय की पहचान और विशेषताएं

•    प्रथम ब्यान्त की औसत आयु 4-5 वर्ष होती है.
•    एक ब्यान्त में औसतन दूध देने की क्षमता 430 लीटर होती है.
•    डांगी नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 175 लीटर और अधिकतम 800 लीटर तक दूध देती हैं.
•    प्रौढ़ गायों का वजन 220 से 250 किलोग्राम होता है, जबकि प्रौढ़ बैलों का वजन 300-350 किलोग्राम होता है.
•    दूध में फैट यानी वसा औसतन 4.3 प्रतिशत पाया जाता है.
•    डांगी नस्ल की गायों के दूध में न्यूनतम 3.8 प्रतिशत और अधिकतम 4.5 प्रतिशत वसा पाया जाता है.
•    डांगी नस्ल की गायों की ऊंचाई औसतन 113 सेमी, जबकि बैलों की ऊंचाई 117 सेमी होती है.
•    प्रौढ़ गायों की शरीर की लंबाई 122 सेमी, जबकि बैलों की 129 सेमी होती है.
•    डांगी मवेशियों का उपयोग बड़े पैमाने पर जुताई और वन क्षेत्र से लकड़ी की ढुलाई के लिए भी किया जाता है.
•    डांगी मवेशियों रंग अलग सफेद होता है और शरीर पर लाल या काले धब्बे असमान रूप से होते हैं.
•    सींग छोटे (12-15 सेमी) और नुकीले सिरे वाले मोटे होते हैं. 
•    माथा थोड़ा बाहर निकला हुआ होता है.
•    बैलों में गर्दन आमतौर पर छोटी और मोटी होती है और कूबड़ बहुत उभरा हुआ होता है.
•    खुर विशेष रूप से कठोर होता है.
•    चमकदार बालों के साथ त्वचा ढीली, मुलायम और लचीली होती है.
•    थन मध्यम आकार के और काले होते हैं.
•    कान छोटे, काफी चौड़े और अंदर से काले होते हैं. कान के किनारे पर लंबे काले बाल हैं.

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शेड की आवश्यकता

गाय को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है. शेड बनवाने के दौरान इस बात पर विशेष ध्यान दें कि चुने हुए शेड में साफ हवा और पानी की सुविधा हो. इसके अलावा पशुओं की संख्या के अनुसार जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें और बैठ सकें.

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