एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो गाय पालन में मुनाफा दो चीजों पर निर्भर करता है. एक गाय वक्त से बच्चा् दे दे और दूसरा गाय की बीमारियों को कंट्रोल करना. क्योंकि जब तक गाय बच्चा नहीं देगी तो दूध उत्पादन भी शुरू नहीं होगा. बीमारियों पर कंट्रोल होगा तो लागत में कमी आएगी. हालांकि अभी तक ये दोनों काम इतने आसान नहीं थे. लेकिन अब सिर्फ पांच हजार रुपये खर्च कर वक्त रहते गाय से बच्चाा लिया जा सकता है. साथ ही गंभीर रूप से बीमार होने से पहले ही बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.
ऐसे होने से जहां दूध उत्पादन बढ़ेगा वहीं गाय पालन पर लागत भी कम आएगी. और ये सब मुमकिन होगा काऊ बैल्ट से. गाय के गले में बंधी ये बैल्ट गाय के बारे में हर जानकारी देगी. पुणे की एक कंपनी इस काऊ बैल्ट को बना रही है.
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काऊ बैल्ट बनाने वाली पुणे की कंपनी के सेल्स डायरेक्टर लोकेश कोठारी ने किसान तक को बताया कि अभी तक होता ये है कि पशुपालक अनुभव के आधार पर गाय को देखकर बता पाते हैं कि गाय अभी हीट में आई है या नहीं. लेकिन कई बार ऐसा भी हो जाता है कि गाय हीट में आई और हमारी नजर गाय पर नहीं पड़ी. ऐसे में कई बार गाय के हीट में आने के मौके निकल जाते हैं और पशुपालक उसे गाभिन नहीं करा पाते हैं.
क्योंकि जब तक समय रहते ये पता नहीं चलेगा कि गाय हीट में आई हुई है तो उसे आर्टिफिशन इंसेमीनेशन (एआई) और सीधे सांड से गाभिन नहीं करा सकते. लेकिन काऊ बैल्ट से गाय के हीट में आते ही सूचना मिल जाती है. जैसे ही ये सूचना मिलती है फौरन ही गाय को गाभिन करा दिया जाता है. और इस तरह से गाय समय से बच्चा देने के साथ ही दूध देना भी शुरू कर देती है. नहीं तो कई बार गाय के हीट में आने का इंतजार करने में ही लम्बा वक्त गुजर जाता है और दूध ना मिलने पर भी गाय के ऊपर चारे का खर्च बढ़ता रहता है.
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लोकेश कोठारी बताते हैं कि बीमार होने से पहले गाय में लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं. लेकिन सवाल ये है कि बाहरी लक्षण को तो हम देख लेते हैं, लेकिन अंदरूनी लक्षणों को देख पाना मुमकिन नहीं होता है. और फिर जहां 40-50 से लेकर 150-200 तक गाय हैं वहां हर एक गाय पर नजर रखना भी मुमकिन नहीं हो पाता है. लेकिन अगर गाय के गले में काऊ बैल्ट है तो फिर उससे गाय की हर एक मूवमेंट की जानकारी मिलती रहती है. अगर गाय के पेट में बीमारी के चलते कोई बदलाव आ रहा है तो उसकी जानकारी भी बैल्ट की मदद से मिल जाती है.
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