भारत में खेती-बाड़ी के बाद किसान तेजी से पशुपालन के ओर रुख कर रहे हैं. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन अब किसानों और पशुपालकों के लिए एक फायदे का सौदा बनते जा रहा है. लेकिन आए दिन दुधारू पशुओं में दूध के उत्पादन में कमी देखी जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि पशुपालक कई बार गाय या भैंस को दुहते समय देरी कर देते हैं. जिससे पशु अपने दूध को कम कर देते हैं. ऐसा न करने पर पशुपालकों को सीधे तौर पर आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पशुपालकों को 5-7 मिनट में दूध दुह लेनी चाहिए वर्ना दूध घट जाएगा.
जब गाय पुआसती है तो 1 से 2 मिनट में आक्सीटोसिन हार्मोन की सहायता से दूध थनों में आ जाता है. वहीं दूध उतारने में आक्सीटोसिन हार्मोन का प्रवाह केवल 5 से 7 मिनट तक रहता है. ऐसे में जल्दी से 5 से 7 में ही सारा दूध निकाल लेना चाहिए. नहीं तो दूध ग्रंथि में ही रह जाता है. इसके कारण पशुपालकों को दूध उत्पादन में कमी आ जाती है. इसलिए गाय-भैंस से दूध निकालते समय देरी नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा कभी-कभी गाय या भैंस के बच्चे की मौत हो जाने पर भी पशु दूध देना बंद कर देते हैं.
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दूध दुहते की बात करें तो पशुपालकों को दूध दुहने के समय का भी ध्यान रखना चाहिए. आमतौर पर औसत दूध देने वाली गाय-भैंस को दिन में दो बार दुहा जाता है. वहीं अधिक दुधारू गाय भैंसों को 24 घंटे में तीन बार दुहना चाहिए. ऐसा न करने से धीरे-धीरे करके पशु दूध देना कम कर देते हैं. जिससे दूध उत्पादन में कमी आने लगती है. साथ ही दूध दुहते समय शोर-गुल भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि की इससे भी उत्पादन पर असर पड़ता है.
हालांकि, कई बार देखा जाता है कि ज्यादा दूध उत्पादन के लिए कई किसान गलत तरीका अपनाते हैं. इसके लिए वे गाय या भैंस को पाउडर और इंजेक्शन देते हैं. ऐसा करने से पशुओं की सेहत पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे में किसान अपने दुधारू पशुओं के साथ इस तरह के प्रयोग करने से बचें.
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