एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) के चलते पोल्ट्री सेक्टर को बहुत नुकसान हो रहा है. हालत ये है कि बायो सिक्योरिटी का सख्ती के साथ पालन करने के बाद भी इस बीमारी के फैलने से पोल्ट्री फार्मर को नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसलिए ये जरूरी है कि इसके खिलाफ पुरजोर तरीके से टीकाकरण अभियान चलाया जाए. ये कहना है पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) के प्रेसिडेंट रनपाल ढांढा का. चार मार्च को केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में बर्ड फ्लू की रोकथाम और पोल्ट्री को मजबूत बनाने के लिए एक बैठक बुलाई गई थी. बैठक को मंत्रालय की सेक्रेटरी अलका उपाध्याय ने भी संबोधित किया.
बैठक के दौरान एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर डॉ. अभिजीत मित्रा भी मौजूद थे. गौरतलब रहे खासतौर पर फरवरी-मार्च में देश के कई इलाकों में पोल्ट्री फार्म पर बर्ड फ्लू का असर देखा गया था. इसके चलते बड़ी संख्या में अंडे देने वाली मुर्गियों और चिकन के लिए पाले जाने वाले ब्रायलर मुर्गों की मौत हो गई थी. सूत्रों की मानें तो कुछ दूसरे जानवरों में भी बर्ड फ्लू का असर देखा गया था.
प्रेसिडेंट रनपाल ढांढा ने बैठक के दौरान ये भी बताया कि बर्ड फ्लू जैसी आपदा से पोल्ट्री फार्मर को बचाने का काम टीकाकरण ही करेगा. क्योंकि इस बीमारी के चलते पोल्ट्री फार्मर को वित्तीय के साथ-साथ व्यावसायिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस मौके पर उन्होंने सेक्रेटरी को ब्रायलर ब्रीडर बर्ड पर लागत रिपोर्ट सौंपी, जिसमे. इस रिपोर्ट का फायदा ये होगा कि किसानों को कितना नुकसान हुआ और उन्हें कितना, किस तरह से मुआवजा मिलना चाहिए.
इस दौरान पोल्ट्री फार्मर के रजिस्ट्रेशन में आने वाली परेशानियों को भी उठाया. उनका कहना था कि आज पोल्ट्री सेक्टर को इंडस्ट्री में गिना जा रहा है, इसी के चलते ही इंडस्ट्री वाले कायदे-कानून पोलट्री फार्मर पर लागू हो रहे हैं. इसका भी असर पोल्ट्री फार्मर के रजिस्ट्रेशन पर पड़ रहा है. बैठक के दौरान पोल्ट्री से जुड़े कई दूसरे मामले भी उठाए गए. जिसमे पोल्ट्री फार्मर को राहत और सहायता देने जैसे मुद्दे अहम थे.
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