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अफ्रीकन स्वाइन फीवर: राजस्थान में सुअरों के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक

अफ्रीकन स्वाइन फीवर: राजस्थान में सुअरों के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक

जयपुर के किशनगढ़-रेनवाल में यूथेनेसिया (मानवीय तरीके से किलिंग) से 14 और सुअरों को मारा गया. तीन फरवरी को 21, चार को 27, पांच को 12 सुअरों की किलिंग की गई. इस तरह जयपुर में अब तक कुल 74 सुअरों को यूथेनेसिया के द्वारा मारा गया है. 

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राजस्थान में अब तक चार हजार से ज्यादा सुअरों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है. राजस्थान में अब तक चार हजार से ज्यादा सुअरों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है.

राजस्थान में सुअरों में फैल रहे अफ्रीकन स्वाइन फीवर के कारण अब तक चार हजार से अधिक सुअरों की मौत हो चुकी है. सोमवार को जयपुर के किशनगढ़-रेनवाल में यूथेनेसिया (मानवीय तरीके से किलिंग) से 14 और सुअरों को मारा गया. तीन फरवरी को 21, चार को 27, पांच को 12 सुअरों की किलिंग की गई. इस तरह जयपुर में अब तक कुल 74 सुअरों को यूथेनेसिया के द्वारा मारा गया है. 
उधर, सुअर वंशीय पशुओं के आवागमन एवं परिवहन पर पशुपालन विभाग ने रोक लगा दी है. साथ ही सुअर पालकों की सहायता के लिए विभाग ने 24 घंटे तैयार रहने की बात कही है. संक्रमित जिले में ब्लॉक स्तर पर त्वरित कार्यवाही दलों का गठन किया गया है.  

तीन जोन बनाकर रोग से लड़ने की कोशिश

विभाग की ओर से मिली सूचना के अनुसार संक्रमित क्षेत्र (इंफेक्टड जोन), निगरानी क्षेत्र (सर्विलेंस जोन) एवं मुक्त क्षेत्र (फ्री जोन) के आधार पर गठित इन दलों द्वारा संक्रमित एवं शूकर वंशीय पशुओं के घूमने वाली जगहों पर पहुंच कर सर्वेक्षण किया जा रहा है और रोग की रोकथाम एवं निदान के लिए हर संभव कार्यवाही की जा रही है. 

गठित दलों की ओर से संक्रमित एवं मृत शूकरों के सैंपल जमा कर अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग की पुष्टि के लिए भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, (निषाद) भिजवाए जा रहे हैं. रोग फैलने की स्पीड एवं शूकर पशुपालकों के हितों  को ध्यान में रखते हुए पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़  ने रोग की रोकथाम के सम्बन्ध में दिशा निर्देश जारी किये हैं.

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इस सम्बंध ने विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ. राठौड़ ने बताया कि रोग के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए विभागीय अधिकारियों को अलर्ट जारी कर शूकर वंशीय पशुओं को इस रोग से बचाने एवं पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए प्रत्येक ज़िले के प्रभावित क्षेत्रों में रोग सर्वेक्षण, रोग निदान, प्रतिबंधित/मुक्त क्षेत्र चिन्हित कर ‘क्षेत्र विशिष्ट कार्यवाही’ की जाएगी.  
उन्होंने कहा कि शूकर वंशीय संक्रमित पशुओं एवं संपर्क में आए अन्य सुअरों का वैज्ञानिक रीति से यूथेनाइज, क्षेत्र का विसंक्रमण, वेक्टर कण्ट्रोल, जैव कचरा, पशु आहार एवं अन्य कचरे आदि का निस्तारण किया जा रहा है ताकि बीमारी पर जल्द काबू पाया जा सके. 

जंगली सुअरों में बीमारी फैलने का अंदेशा 

अफ्रीकन स्वाइन फीवर फिलहाल शहरी क्षेत्र में रहने वाले सुअरों में फैल रही है,लेकिन जंगली सुअरों में भी इसके फैलने का अंदेशा लगाया जा रहा है. इसीलिए पशुपालन विभाग रोग पर काबू पाने के लिए वन विभाग और अन्य संबंधित विभागों के साथ सामंजस्य स्थापित कर रहा है. 

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डॉ. राठौड़ ने बताया कि सुअरों की असामान्य मृत्यु एवं अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि के सम्बन्ध में प्रभावित क्षेत्र के जिला प्रशासन, सम्बंधित ब्लॉक स्तरीय नोडल अधिकारी एवं स्थानीय निकाय व पंचायतों को सूचना दी गई है. इनसे जरूरी सहयोग लिया जा रहा है. 
 

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