देश में पशुपालन सीमांत और छोटी जोत वाले किसानों के लिए आय का मुख्य साधन बन गया है. देश में करोड़ों किसान गाय-भैंस के दूध, दही, घी और मक्खन बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. वहीं, केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी गाय-भैंस का पालन करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं. इसके लिए वे किसानों को सब्सिडी मुहैया करा रही हैं. लेकिन इसके बावजूद भी कई किसानों को पशुपालन में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें गाय-भैंस की सही तरीके से देखरेख करने की जानकारी तक नहीं है. लेकिन अब किसानों की चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम मवेशियों के संतुलित खुराक और उचित देखभाल के बारे में बहुत ही सटीक जानकारी देंगे, जिससे उनका दूध का प्रोडक्शन बढ़ जाएगा. इससे किसानों की कमाई में भी बढ़ोतरी होगी.
दुधारू गाय-भैंस के लिए हेल्दी आहार बहुत ही जरूरी है. अगर आप अपनी गाय-भैंस को पौष्टिक आहार नहीं देंगे तो उनका दूध उत्पादन प्रभावित होगा. इससे किसानों की कमाई पर असर पड़ेगा. इसलिए पशुओं को पौष्टिक एवं संतुलित आहार समय पर खिलना चाहिए. अगर आप चाहें, तो अपनी दुधारू गाय-भैंस को सूखे चारे के साथ चोकर भी मिला कर दे सकते हैं, क्योंकि चोकर मवेशी बहुत ही चाव के साथ खाते हैं. इससे उनका वजन संतुलित रहता है. साथ ही दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.
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पशु एक्सपर्ट के मुताबिक, किसान चोकर के अलावा पौष्टिक आहार के रूप में गाय-भैंस को सूखे चारे में मक्का, जौ, बाजरा और गेहं का आटा भी मिलाकर खिला सकते हैं. इससे उनके शरीर को प्रयाप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे मौसम परिवर्तन का असर भी उनके स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है. साथ ही दूध देने की क्षमता भी बढ़ जाती है. इसके अलावा दुधारू मवेशियों को बिनौला की खल, अलसी की खल, रसों की खल और मूंगफली की खल को भी चारे के साथ दे सकते हैं. खास कर सर्दी के मौसम में मवेशियों को रसों की खल खिलाने से उनका शरीर गर्म रहता है. ऐसे में उन्हें सर्दी लगने की संभावना नहीं रहती है.
अगर किसान चाहें, तो सरसों का तेल भी मवेशियों को गेहूं क आटे में मिलाकर खिला सकते हैं. इसके नेपियर और लोबिया जैसे घास भी दुधारू मवेशियों के लिए काफी फायदेमंद हैं. इससे दूध का उत्पादन बढ़ जाता है. वहीं, मौसम में बदलाव आने पर पशुओं को समय-समय पर चिकित्सकों से चेकअप भी कराते रहें. इससे पशुओं के बीमार होने की जानकारी मिलती है. वहीं, चारा खाने के बाद पानी पिलाना भी बहुत जरूरी है. पानी नहीं पिलाने से मवेशी तनाव में आ जाते हैं. इससे दूध उत्पादन प्रभावित हो सकता है. इसलिए दुधारू पशुओं को सुबह, दोपहर और शाम में भरपूर पानी पिलाएं. वहीं, दुधारू गाय- भैंस का दूध बढ़ाने के लिए पाउडर और इंजेक्शन नहीं दें. इससे उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.
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