खरीफ की मुख्य फसल धान, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से एक बेहद अहम फसल है, जिसे देश के किसानों की लाइफ लाईन भी कहा जाता है. इस साल खरीफ सीजन में 408 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती की गई है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 15 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. धान उत्पादन अच्छा रहने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि, इस समय फसल को कीट और रोगों से बचाने की ज्यादा जरूरत होती है.
दरअसल सितंबर के महीने में धान की फसल अब बालियां बनने की अवस्था शुरूआत होगी और इस महीने में कुछ घातक कीट और रोगों से नुकसान की संभावना रहती है. ये कीट और रोग किसानों की मेहनत पर पानी फेर सकते हैं, इसलिए किसानों को अपने खेतों की नियमित निगरानी करनी चाहिए. कीट या रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत रोकथाम के उपाय अपनाने चाहिए. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जिन किसानों ने कम अवधि वाली धान की किस्में लगाई हैं, उनमें इस समय बालियां निकल रही होंगी और इस अवस्था पर तना छेदक (स्टेम बोरर) और गंधी बग जैसे कीटों से सतर्क रहने की जरूरत है. इसके लिए खेतों की कड़ी निगरानी करें.
इस समय उन क्षेत्रों में जहां कम बारिश हुई है, सूखी और ऊंची जमीन पर बोई गई फसल में स्टेम बोरर (तना छेदक) का हमला हो सकता है. स्टेम बोरर की केवल सूंडियां ही फसल को हानि पहुंचाती हैं, जो धान की रोपाई के एक महीने बाद किसी भी अवस्था में नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसकी सूंडी मुख्य तने के अंदर घुसकर तने को खाती है, जिससे धान की बालियां सूख जाती हैं. ऊपर से खींचने पर तना सहित बालियां आसानी से निकल जाती हैं, जिसे 'सफेद बाली' कीट कहा जाता है. स्टेम बोरर वर्षा-आधारित क्षेत्रों में धान की फसल को काफी हानि पहुंचाता है. जहां उंचे स्थान पर खेत में नमी की कमी होती इस कीट प्रकोप ज्यादा होता है. अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के अनुसार इसके अधिक प्रकोप से फसल को 100 फीसदी तक की क्षति हो सकती है.
इस समय जब धान में बालियां दूधिया अवस्था में हैं तब गंधी बग कीट पौधों के विभिन्न भागों से रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं. यह कीट लंबा, पतला, हरे-भूरे रंग का उड़ने वाला होता है. इसे इसकी तीखी गंध से भी पहचाना जा सकता है. इसके वयस्क और शिशु दूधिया दानों को चूसकर हानि पहुंचाते हैं, जिससे दानों पर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं और दाने खोखले रह जाते हैं.
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