राजस्थान में बढ़ेगी गिर गायों की आबादी, कृत्र‍िम गर्भाधान के ल‍िए मेरठ से आएगा सांड का सीमेन

राजस्थान में बढ़ेगी गिर गायों की आबादी, कृत्र‍िम गर्भाधान के ल‍िए मेरठ से आएगा सांड का सीमेन

गाय की गिर नस्ल का पालन कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. देशभर में गाय की इस देसी नस्ल के पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी क्रम में कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) तकनीक के माध्यम से राजस्थान में गिर गायों की आबादी बढ़ाने के लिए मेरठ से सांड का सीमेन आएगा.

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राजस्थान में बढ़ेगी गिर गायों की आबादी, कृत्र‍िम गर्भाधान के ल‍िए मेरठ से आएगा सांड का सीमेनकृत्रिम गर्भाधान तकनीक के माध्यम से गिर गाय की पैदावार और नस्ल सुधार के लिए एमओयू

पिछले कुछ दशकों में देश में डेयरी बिजनेस का तेजी से विकास हुआ है. यह देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी का सबसे अच्छा स्त्रोत बनता जा रहा है. मौजूदा वक्त में डेयरी बिजनेस में गाय पालन का चलन सबसे ज्यादा है. वहीं गाय की गिर नस्ल का पालन कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. गाय की इस नस्ल की दूध उत्पादन क्षमता अन्य नस्ल की गायों के अपेक्षा ज्यादा होती है. यह एक दिन में औसतन 12 लीटर से अधिक दूध देती है. यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा गाय की इस देसी नस्ल के पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी क्रम में कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) तकनीक के माध्यम से राजस्थान में गिर गायों की आबादी बढ़ाने के लिए मेरठ से सांड का सीमेन आएगा. 

दरअसल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर के निदेशक डॉ अरुण कुमार तोमर और केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मरेठ, यूपी के निदेशक डॉ उमेश सिंह ने एक समझौता ज्ञापन पर साइन किया.

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इस समझौते के अंतर्गत राजस्थान के टोंक जिले के किसानों को अविकानगर संस्थान की सहयोग से मरेठ के संस्थान के बढ़िया नस्ल के गिर गाय के सांड का सीमन मिल सकेगा. जिससे टोंक क्षेत्र के गिर गाय पालन करने वाले किसानों को कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) तकनीक के माध्यम से गिर गाय की पैदावार और नस्ल सुधार में संवर्धन सहित कई फायदे होंगे. 

इस मौके पर अविकानगर संस्थान के निदेशक डॉ. अरुण कुमार तोमर ने एमओयू पर खुशी जताते हुए कहा कि इससे राजस्थान के विभिन्न जिलों के किसानों को शुद्ध गिर गाय का सीमन अविकानगर के माध्यम से मिलेगा जिससे निश्चित ही ज्यादा दुग्ध उत्पादन होगा और किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी.

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डॉ. तोमर ने मीडिया को बताया कि संस्थान की फार्मर फर्स्ट परियोजना माध्यम से राजस्थान के SC और ST कैटेगरी के गिर गाय पालक किसानों को इस एमओयू से सीधा लाभ होगा. उन्होंने आगे कहा कि अविकानगर संस्थान इसी तरह राजस्थान के किसानों को भारतीय क़ृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों की उन्नत तकनीक उपलब्ध करता रहेगा जिससे भारत सरकार की किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. 

एमओयू के दौरान दोनों संस्थानों से वैज्ञानिक डॉ. सत्यवीर सिंह डांगी, फार्मर फर्स्ट परियोजना प्रधान अन्वेषक अविकानगर, मरेठ के वैज्ञानिक डॉ सुशील सिंह व डॉ. सुरेश डबाश भी मौजूद रहे जिससे गिर गाय एमओयू पर दोनों निदेशक की योजना अनुसार जल्दी से कार्य अमल में लाया जा सके.

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