बीमार पशुओं के साथ बरतें ये सावधानियां (Photo Credit-Kisan Tak)पोल्ट्री-डेयरी हो या मछली पालन, हर जगह एंटीबायोटिक्स दवाईयों के इस्तेमाल पर चिंता जताई जा रही है. आरोप है कि जाने-अनजाने जरूरत नहीं होने पर भी एंटीबायोटिक्स दवाईयों का इस्तेमाल किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर भी इस तरह की खबरें सामने आती हैं कि पशु-पक्षियों में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है. आरोप लगाया जाता है कि ब्रॉयलर मुर्गे का वजन बढ़ाने और मुर्गियों से ज्यादा अंडे लेने के लिए फीड में एंटीबायोटिक की खुराक मिलाई जाती है. और परेशानी की बात ये है कि एनिमल प्रोडक्ट के जरिए इनका असर इंसानों की हैल्थ पर भी देखने को मिल रहा है.
हालांकि केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय एंटीबायोटिक्स को लेकर एडवाइजरी भी जारी करता रहता है. साथ ही ये भी बताता है कि पशुपालन, मछली पालन और पोल्ट्री फार्म में एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को कैसे घटाया जा सकता है. क्योंकि इसका एक असर एनिमल प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट पर भी पड़ता है. जांच में प्रोडक्ट के नमूने फेल हो जाते हैं. गौरतलब रहे विश्वस्तर पर एएमआर जागरुकता सप्ताह भी मनाया जा रहा है.
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वेटरिनेरियन डॉ. इब्ने अली ने किसान तक को बताया कि पशुओं और इंसानों के साथ ही एंटीबायोटिक्स दवाएं पर्यावरण के लिए भी बेहद खतरनाक होती हैं. होता ये है कि ज्यादा एंटीबायोटिक्स देने से जानवरों में एएमआर पैदा हो जाता है. एएमआर एक ऐसी स्टेज है जिसमें किसी बीमारी को ठीक करने के लिए जो दवा या एंटीबायोटिक्स दी जाती है वो काम करना बंद कर देती है. कुछ बैक्टीरिया कई दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता डवलप कर लेते हैं जिससे वो दवाएं असर करना बंद कर देती हैं. इस कंडीशन को सुपर बग कहा जाता है.
एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल सिर्फ बीमार मुर्गी का इलाज करने और उसके संपर्क में आई मुर्गियों पर ही करें. बीमारी की रोकथाम के लिए पहले से न खिलाएं. बायो सिक्योरिटी का पालन अच्छे से करें. बीमारी को रोकने और उसे फैलने से रोकने के लिए फार्म में धूप अच्छे से आए इसका इंतजाम रखें. हवा के लिए वेंटीलेशन भी अच्छा हो. फार्म पर क्षमता से ज्यादा मुर्गी की भीड़भाड़ न हो.
सप्लीमेंट्री फीड के साथ स्पेशल एडीटिव जैसे, प्री बायोटिक, प्रो बायोटिक, आर्गेनिक एसिड, एसेंशियल ऑयल्स और इन्सूलेबल फाइबर दें. साथ ही यह पक्का कर लें कि मुर्गी को जरूरत का खाना और विपरीत मौसम से बचाने के उपाय अपनाए जा रहे हैं या नहीं. हर रोज पोल्ट्री फार्म पर बराबर नजर रखें. इस बात की तसल्ली करें कि मुर्गियों की हैल्थ ठीक है. उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आ रहा है.
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