तीन मार्च को नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने “डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर वर्कशॉप” का उद्घाटन करते हुए कहा कि मोदी सरकार सहकार से शक्ति, सहयोग और समृद्धि के तीन सूत्रों के साथ-साथ profit for people के मंत्र को सच साबित कर रही है. इसलिए जरूरत है कि श्वेत क्रांति-2 के तहत देश के हर एक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में एक राज्यस्तरीय और देश के 80 फीसद जिलों में मिल्क कोऑपरेटिव बनाने का लक्ष्य तय किया जाए. मौजूदा वक्त में फार्म से फैक्ट्री तक की सम्पूर्ण चैन गांव में ही स्थापित किए जाने पर जोर देना चाहिए.
गुजरात में माइक्रो ATM के मॉडल से प्रदेश के पशुपालकों को बहुत फायदा मिल रहा है. ऐसे मॉडल को नाबार्ड देश के हर जिले तक पहुंचाए. इतना ही नहीं पिछड़े हुए छोटे किसानों की दशा सुधारने के लिए गांव से ग्लोबल तक की यात्रा, समूह से सफलता तक का विश्वास और फार्म से फैक्ट्री तक की पूरी श्रृंखला गांव में विकसित करना जरूरी है.
अमित शाह का कहना है कि भारत का डेयरी सेक्टर देश के साथ-साथ ग्रामीण विकास और भूमिहीन और छोटे किसानों की जिंदगी बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है. ये हमारे देश की पोषण की चिंता करता है. देश को दुनिया का नंबर एक दूध उत्पादक बनाने में योगदान देता है. इतना ही नहीं कृषि के अलावा किसानों को अतिरिक्त आय भी प्रदान करता है. इतना ही नहीं पीएम नरेन्द्र मोदी ने हमारे सामने भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था, दुनिया में तीसरे नंबर का अर्थतंत्र और 2047 में पूर्ण विकसित देश बनाने के तीन लक्ष्य रखे हैं.
इन तीनों लक्ष्यों को सिद्ध करने के लिए हमें हर क्षेत्र में संभावनाओं का शत-प्रतिशत दोहन करने की पद्धति विकसित करनी होगी. डेयरी सेक्टर ने आज सर्कुलरिटी के संबंध में गुड प्रैक्टिसिस को 250 दूध उत्पादक संघों तक पहुंचाने की विजनरी शुरूआत की है. वहीं अमित शाह ने इस मौके पर ये भी कहा कि आज जब हम श्वेत क्रांति-2 की तरफ बढ़ रहे हैं तब सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी का महत्व बहुत बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति-1 से अब तक जो हमने हासिल किया है उससे सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी को पूरा करना अभी बाकी है.
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