कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा, दिल्ली के देखरेख में 19 से 29 सितंबर, 2025 तक "आधुनिक तकनीक के साथ डेयरी फार्मिंग" विषय पर 10 दिवसीय व्यावसायिक ट्रेनिंग कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा हुआ. इस ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य दिल्ली और आसपास के राज्यों के छोटे और सीमांत किसानों, युवाओं और युवा महिलाओं को आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से डेयरी फार्मिंग क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना था. ट्रेनिंग कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्र के अध्यक्ष डॉ. डी. के. राणा ने किया. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पशु पालन और डेयरी व्यवसाय स्वरोजगार के साथ-साथ देश की आर्थिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. डॉ. राणा ने कहा कि यदि कोई उद्यमी डेयरी फार्मिंग शुरू करना चाहता है तो उसे दूध प्रसंस्करण की जानकारी भी होनी चाहिए, जिससे वह मूल्य वर्धित उत्पाद बनाकर अधिक आय कमा सके. इस ट्रेनिंग कार्यक्रम से ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की नई दिशा और प्रेरणा मिलेगी.
ट्रेनिंग की शुरुआत 19 सितम्बर को डॉ. जय प्रकाश, पशुपालन विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में हुई. उन्होंने आधुनिक डेयरी फार्मिंग की तकनीकों, देशी नस्लों के संवर्धन, आवास प्रबंधन, पोषण प्रबंधन, रोग नियंत्रण, दूध के मूल्य वर्धन और डेयरी फार्मिंग के लिए जरूरी सरकारी अनुदान की जानकारी दी. इसके अलावा उन्होंने व्यवसाय प्रबंधन, विपणन रणनीतियों और वित्तीय सहायता के स्रोतों पर भी विस्तृत रूप से चर्चा की.
ट्रेनिंग के दौरान विभिन्न विशेषज्ञों ने डेयरी पालन के महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी. डॉ. विक्रम ने गाय और भैंस की नस्लों और उनके अनुकूल क्षेत्र के बारे में बताया. डॉ. समर पाल सिंह ने जैविक एकीकृत कृषि प्रणाली और हरे चारे की उपलब्धता पर प्रकाश डाला. वहीं, श्री कैलाश ने सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और विपणन रणनीतियों के बारे में ट्रेनिंग दिया.
प्रतिभागियों को नजदीकी डेयरी फार्म का भ्रमण कराया गया ताकि वे व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकें. इसके अलावा समूहों में बांटकर स्वदेशी तरीकों से डेयरी फार्मिंग पर चर्चा और अभ्यास किया गया. इस ट्रेनिंग में कुल 30 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया, जिनमें दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार के लोग शामिल थे.
अंतिम दिन सभी प्रतिभागियों को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए मार्गदर्शन दिया गया. प्रतिभागियों ने इस ट्रेनिंग को बहुत उपयोगी, प्रेरणादायक और व्यावहारिक बताया. इस कार्यक्रम के सफल संचालन में डॉ. ऋतू सिंह, डॉ. राकेश कुमार, श्री बृजेश कुमार और श्री रामसागर का सहयोग महत्वपूर्ण रहा. साथ ही, कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी एवं गैर-तकनीकी कर्मचारी भी इस कार्यक्रम के सफल समापन में सहायक थे.
यह 10 दिवसीय ट्रेनिंग कार्यक्रम नवीन प्रौद्योगिकी के माध्यम से डेयरी पालन के क्षेत्र में युवाओं और किसानों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है.
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