देश में अंडे और चिकन का बड़ा बाजार है. अब तो अंडे का एक्सपोर्ट भी लगातार बढ़ रहा है. देश में बीते साल 14 हजार करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ था. वहीं कुल मीट उत्पादन करीब 10 लाख टन में 50 फीसद की हिस्सेदारी चिकन की थी. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो ये लगातार मुनाफा देने वाला कारोबार है. लेकिन शर्त ये है कि पोल्ट्री फार्मिंग कुछ नियमों का पालन करते हुए साइंटीफिक तरीके से की जाए. इससे ना केवल मुर्गियां हेल्दी रहेंगी बल्कि पोल्ट्री फार्मर को भी नुकसान नहीं होगा और सरकारी नियमों का पालन होता रहेगा. पोल्ट्री सेक्टर आज दो लाख करोड़ रुपये का कारोबार बन चुका है.
बैकयार्ड और कमर्शियल दो तरह से मुर्गी पालन किया जाता है. लेकिन इसमे सबसे बड़ा हिस्सा कमर्शियल पोल्ट्री फार्मिंग का है. यही वजह है कि कमर्शियल मुर्गी पालन के लिए एक सरकारी गाइड लाइन है. गौरतलब रहे बैकयार्ड पोल्ट्री के तहत घर और फार्म हाउस में 100-50 मुर्गियां किसी भी तरह से पाली जा सकती हैं. लेकिन कमर्शियल में गाइड लाइन के मुताबिक ही पांच हजार से लेकर पांच लाख तक मुर्गी पालन करना होता है. नियमों का पालन नहीं करने पर कार्रवाई भी हो सकती है.
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मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी (CVMO) से जमीन निरीक्षण की एनओसी लेनी होगी.
पोल्ट्री फार्म के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेनी होगी.
पोल्ट्री फार्म नदी, झील, नहर, कुंआ और पानी के स्टोरेज टैंक से 100 मीटर की दूरी पर बनाएं.
पोल्ट्री फार्म की नेशनल हाइवे से 100 मीटर की दूरी पर बनाएं.
पोल्ट्री फार्म की स्टेट हाइवे से 50 मीटर की दूरी होनी चाहिए.
सड़क और पखडंडी से पोल्ट्री फार्म की दूरी 10-15 मीटर होनी चाहिए.
पोल्ट्री फार्म के ऊपर हाइटेंशन की लाइन नहीं होनी चाहिए.
स्कूल और धार्मिक स्थलल से पोल्ट्री फार्म की दूरी 500 मीटर होनी चाहिए.
पोल्ट्री फार्म में बिजली की अच्छी व्यपवस्था होनी चाहिए.
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पोल्ट्री फार्म की जमीन एकदम समतल होनी चाहिए.
पोल्ट्री फार्म की बाउंड्रीवाल से मुर्गियों के शेड की दूरी 10 मीटर होनी चाहिए.
मुर्गियों के शेड की जाली वाली साइड उत्तर-दक्षिण में होनी चाहिए.
पोल्ट्री फार्म का शेड जमीन से आधा मीटर ऊपर होना चाहिए.
पोल्ट्री फार्म ऐसी जगह ना बनाए जहां बाढ़ आती हो या बारिश का पानी भरता हो.
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