राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने चार साल पूरे कर लिए हैं. इस मौके पर अलग-अलग विभागों ने अपने कामों की प्रदर्शनी लगाई है. जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में यह प्रदर्शनी लगाई गई है. इसी कड़ी में गोपालन विभाग की स्टॉल में गोबर से बने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई. गोबर से बने इन उत्पादों की यहां आए लोगों में चर्चा रही. गोबर से बने दैनिक जीवन के उपयोग के इन उत्पादों के बारे में जानकर लोगों को आश्चर्य हुआ.
साथ ही पारंपरिक रूप से गोबर के उपयोग के अलावा हो रहे कामों के बारे में जागरूकता भी बढ़ी.
स्टॉल पर मौजूद गोपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ तपेश माथुर से किसान तक ने बात की. उन्होंने इन उत्पादों की जानकारी देते हुए बताया कि गौशालाओं में पारम्परिक उत्पाद जैसे घी, गौमूत्र, हवन सामग्री, एवं सौंदर्य प्रसाधन तैयार करने का काम लम्बे समय से हो रहा है. लेकिन अब गोबर के उपयोग से कागज, सजावटी डिब्बे, दीपक, धूप बत्ती, डायरी, पैकेजिंग पेपर, विशेष त्योहारों पर राखी, लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां भी बनाई जा रही हैं. इसके साथ ही इन सजावटी उत्पादों की काफी आकर्षक पैकिजिंग भी की जा रही है.
उन्होंने बताया कि राज्य में विभिन्न संस्थाओं द्वारा आकर्षक पैकेजिंग के साथ गुणवत्तायुक्त उत्पाद देश-विदेशों में उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. इनसे एक नए उद्द्योग के रूप में विश्व पटल पर अपनी पहचान स्थापित हो रही है. तपेश बताते हैं कि लोगों में गोबर से बने इन उत्पादों के बारे में क्रेज इसीलिए भी है क्योंकि ये उत्पाद न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि गौशालाओं में कचरा प्रबन्धन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं. साथ ही ऐसे उत्पाद बनाने वाली राज्य की गौशालाएं अतिरिक्त आय के साथ रोजगार के अवसर भी विकसित कर रही हैं.
डॉ. तपेश बताते हैं कि गोबर से बने कागजी उत्पादों हस्त निर्मित होते हैं. साथ ही ये उत्पाद गोबर, कॉटन एवं गौमूत्र को मिलाकर तैयार किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि गोपालन विभाग की ओर से वर्तमान में 75 से अधिक विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनवाए जा रहे हैं. गोबर निर्मित उत्पादों को देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पहचान मिल रही है. साथ ही ये उत्पाद पारिस्थितिकी संतुलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं.
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