झारखंड की राजधानी रांची में एक ऐसा गौशाला है जहां पर रहने वालों गायों को तमाम तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. रांची गौशाला न्यास के नाम से संचालित इस गौशाला में अभी 422 गायें हैं. इसमें सभी उम्र के गाय बैल और बछड़े शामिल हैं. गौशाला से होने वाली अलग-अलग किस्म के दूध को अलग-अलग रंग के पैकेट में पैक करके बेचा जाता है. ब्लू पैकेट में देशी गाय का दूध और नारंगी पैकेट में जर्सी गाय का दूध बेचा जाता है. रोज इस गौशाला से औसतन 700 लीटर दूध की पैदावार होती है जिसे स्थानीय लोग ले जाते हैं. गुणवत्ता अच्छी होने के कारण यहां के दूध की खूब मांग है.
104 एकड़ में फैले इस गौशाला परिसर में एक अस्पताल भी है. जहां पर हर रोज डॉक्टर आते हैं. बीमार होने पर गाय को अस्पताल में बनाए गए अलग-अलग वार्ड में रखा जाता है. अस्पताल में भी उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसका ख्याल रखा जाता है. बीमार गायों को शिफ्ट करने के लिए और खड़ा करने के लिए ट्रॉली बना हुआ है. गाय को नहलाने के लिए ओपेन बाथरुम बनाया गया है जहां पर उन्हें नहलाया जाता है. साफ-सफाई की पूरी व्यवस्था का ख्याल ऱखा जाता है.
गौशाला में सभी गायों को अलग-अलग शेड में रखा जाता है. दूध दने वाली गाय के लिए अलग शेड, गर्भवती गाय के लिए अलग शेड और जो गाय बूढ़ी हो गई है उनके लिए अलग शेड बनाया गया है. सांड और बैल को रखने के लिए अलग व्यवस्था की गई है. यहां पर गाय को खिलाने के शौकीन लोग भी आते हैं और अपने हिसाब से गायों के खाने औऱ इलाज के लिए दान भी करते हैं. गायों को हरा चारा मिले इसके लिए गौशाला परिसर में ही खेती भी की जाती है. बीमार गायों के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था है ताकि सही समय पर उन्हें चिकित्सा लाभ दिलाया जा सके.
इस गौशाला की खासियत यह है कि यहां पर उन गायों का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. गौशाला के केयरटेकर भीम ने बताया कि जिन गायों को बूढ़ी होने पर छोड़ दिया जाता है. उन गायों को लाया जाता है जो किसी दुर्घटना का शिकार होते हैं और जिन्हें पशु तस्करों से छुड़ाया जाता है. उन्हें यहां पर लाकर इलाज किया जाता है इसके बाद गौशाला में ही एक अच्छी जिदंगी वो जीते हैं. इसके अलावा यह बड़ी संख्या में गोबर जमा होता जिससे केंचुआ खाद बनाया जाता है चारा उगाने में इस्तेमाल किया जाता है. यहां गायों के खान-पान का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. दलिया गुड़ इत्यादि गायों को खिलाया जाता है. खाने की व्यवस्था ऐसी की गई है कि किसी बी गाय को खाने और पानी पीने में परेशानी नहीं होती है.
गौशाला परिसर में विभिन्न प्रकार के फल और औषधीय पौधे लगे हुए हैं, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा एक छोटा का कीड्स पार्क भी है जहां पर बच्चे आकर खेल सकते हैं. आम और अमरुद के अलावा सेब और फलसा के पेड़ यहां पर लगे हुए हैं. यहां पर एक मंदिर भी जो गौ परिक्रमा मंदिर है. गौशाला के केयरटेकर बीम दावा करते हैं कि यह जिले का पहला मंदिर हैं जहां गौ परिक्रम कराई जाती है.
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