
राज्य में एक बार फिर लंपी त्वचा रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इसको देखते हुए राज्य के सभी जिलों को अलर्ट किया गया है. वहीं लंपी के बढ़ते मामले को देखते हुए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री मो. आफाक आलम ने विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जो पशु लंपी रोग की चपेट में आ रहे हैं, उन्हें चिन्हित करके जल्द से जल्द स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाई जाए. इसके साथ ही पशु अस्पताल परिसरों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए. वहीं किसान तक से बातचीत के दौरान मो. आफाक आलम ने बताया कि प्रखंड स्तर पर लैब और डॉक्टरों की संख्या में बढ़ोतरी पर काम किया जा रहा है. साथ ही पहाड़ी क्षेत्र में पशुओं का ईलाज आसानी से हो सके, इसको लेकर भी काम किया जा रहा है.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने बताया कि मॉनसून सीजन में लंपी रोग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अभी तक इस साल जनवरी से मार्च तक करीब 1.37 करोड़ गोवंशीय पशुओं को लंपी त्वचा रोग से बचाव के लिए टिकाकरण किया जा चुका है. वहीं पशुपालक पारंपरिक तरीके से लंपी रोग से ग्रसित पशु का इलाज घर पर कर सकें, इसको लेकर विभाग कई तरह की जानकारी दे रहा है. अभी तक इस रोग के चपेट में आने से करीब चार पशुओं की मृत्यु हो चुकी है. इसमें कैमूर में दो, मुजफ्फरपुर और बेगूसराय में एक-एक पशु की मौत हुई है. वहीं लंपी रोग को लेकर राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम बनाया गया है, जो हर दिन सुबह 08 बजे से रात 08 बजे तक काम कर रहा है. पशुपालक 0612-2230942 पर फोन कर सकते हैं.
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पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के निदेशक नवदीप शुक्ला ने बताया कि विषाणु जनित लंपी रोग का इलाज पशुपालक पारंपरिक तरीके से भी कर सकते हैं. पशुओं को दवा खिलाने के लिए पहली विधि के तहत एक खुराक के लिए 10 पान का पत्ता, 10 ग्राम काली मिर्च को पीसकर पेस्ट बना लेना है. इसमें आवश्यकता अनुसार गुड़ मिलाकर पहले दिन तैयार मिश्रण की एक खुराक हर तीन घंटे पर पशुओं को देनी है.
वहीं दूसरी विधि के तहत दो खुराक के लिए लहसुन की कलियां दो, धनिया, जीरा, दालचीनी का पत्ता, काली मिर्च, हल्दी पाउडर 10-10 ग्राम लेना है. इसके साथ ही पान का पत्ता 05, छोटा प्याज दो, चिरायता के पत्ते का पाउडर 30 ग्राम, बेसिल, बेल का पत्ता एक-एक मुट्ठी, नीम का पत्ता लेकर सभी का पेस्ट बनाकर 100 ग्राम गुड़ मिला देना है. पहले दिन एक खुराक हर तीन घंटे पर और दूसरे दिन से प्रतिदिन दो खुराक पशु की स्थिति में सुधार तक खिलाना है. वहीं सभी खुराक ताजा तैयार करना होता है.
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लंपी रोग के दौरान पशुपालक पशुओं के घाव पर कुप्पी का पत्ता, नीम का पत्ता एक-एक मुट्ठी,10 लहसुन की कलियां, हल्दी का पाउडर 20 ग्राम, मेहंदी का पत्ता एक मुट्ठी, तुलसी का पत्ता एक मुट्ठी का पेस्ट बना लें. इसके बाद 500 मि.ली नारियल या तिल के तेल में मिलाकर उबाल देना है. इसके बाद घाव को साफ करने के बाद बनाई गई दवा का उपयोग करें. वहीं अगर घाव में कीड़े पड़े हुए हैं तो वैसी स्थिति में पहले दिन नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाएं अथवा सीताफल की पत्तियों को पीसकर लगाएं.
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