
Moradabad Farmer Story: पॉजिटिव स्टोरी के लिए मैं नए किरदार की तलाश करता रहता हूं. खेती-किसानी ऐसा काम है, जो किसी उम्र का मोहताज नहीं होता, बल्कि समय के साथ-साथ यह काम एक जिम्मेदारी बन जाता है. मुरादाबाद के बिलारी गांव के रहने वाले रघुपत सिंह भी ऐसी ही जिम्मेदारी निभा रहे हैं. जो 79 साल के किसान आज 100 से ज्यादा विलुप्त हो चुकी सब्जियों की खेती कर रहे हैं. प्रगतिशील किसान रघुपत सिंह अपने आप में किसी शोध संस्थान से कम नहीं हैं. इसलिए यूपी सरकार ने उनको कृषि पंडित की उपाधि भी दी है. दरअसल रघुपत सिंह खत्म होने के कागार पर पहुंच चुकी सब्जियों के अस्तितव को बचाने में जुटे है. इसके लिए वह बीजों के संरक्षण संवर्धन कर रहे हैं. बुजुर्ग किसान रघुपत सिंह जिस फार्मूले से खेती करते है वो किसानों को मालामाल कर सकता है.
इंडिया टूडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से बातचीत में रघुपत सिंह ने बताया कि उन्हें हमेशा से कुछ नया करने का शौक था. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्रों पर जाकर ट्रेनिंग भी ली. इसके बाद जब घर पर आकर अभ्यास और प्रयोग किए तो सफलता मिल गई. इसी का नतीजा है कि आज उन्होंने पुरानी किस्मों के संरक्षण के साथ-साथ कृषि खाद्य उत्पादों की कई-नई किस्में विकसित कर ली है.
उन्होंने कहा कि आजकल किसान साधारण विधियों से खेती करते हैं, जिसके चलते उन्हें सही उत्पादन नहीं मिल पाता. ऐसे में किसानों को साधारण खेती से हटकर कुछ नया सोचना चाहिए, जिससे खेती से अच्छा उत्पादन भी हो और किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिल सके. इसके लिए नए विकल्पों को तलाशना होगा. रघुपत कहते हैं कि अबतक वह 3 लाख से अधिक किसानों को खेती के नए-नए का गुर सीखा चुके है.
कृषि पंडित रघुपत सिंह बताते हैं कि उन्होंने सब्जियों तक 100 से ज्यादा नई प्रजातियां विकसित की हैं. उनकी 7 फीट लंबी लौकी चर्चाओं में बनी रहती है. साथ ही आम जैसे स्वाद वाला अदरक और ढाई फुट की सेम भी काफी मशहूर है.
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बुजुर्ग किसान रघुपत ने बताया कि 1985 वह चने का बीज लेने के लिए कानपुर गए थे. उनके एक परिचित द्वारा राजमा उगाने की बात कही, वो राजमा का बीज लेकर खेती की और सफल हो गए. आज हम लौकी, नींबू, तुरई, बैगन, राजमा, चना, अदरक, लोभिया, मिर्च, हल्दी, आदि कई वैरायटी की खेती कर रहे हैं. बता दें कि मुरादाबाद के 79 वर्षीय किसान रघुपति सिंह बेशक बुजुर्ग हो चुके हैं, लेकिन उनके नवाचार आज भी नए किसानों के बीच काफी फेमस है. कृषि में उनके योगदान के लिए सरकार से 11 राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम करवा चुके हैं. आज रघुपत सिंह किसानों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं, जहां अन्नदाता उनके खेती-बाड़ी के टिप्स से सालाना लाखों में मुनाफा कमा रहे है.
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