Goat Farming: तोतापुरी व सिरोही नस्ल की बकरी पालने का बना रहे हैं प्लान, यहां जाने पूरा गण‍ित

Goat Farming: तोतापुरी व सिरोही नस्ल की बकरी पालने का बना रहे हैं प्लान, यहां जाने पूरा गण‍ित

बिहार के किसान या व्यवसायी तोतापुरी व सिरोही नस्ल की बकरियों का पालन कर  सकते हैं. लेकिन, आम बकरियों की तुलना में बेहतर प्रबंधन करने की जरूरत है. 

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Goat Farming: तोतापुरी व सिरोही नस्ल की बकरी पालने का बना रहे हैं प्लान, यहां जाने पूरा गण‍िततोतापुरी व सिरोही नस्ल की बकरी

मुर्गी व मत्स्य पालन के बाद लोग बकरी पालन भी बड़े स्तर पर कर रहे हैं. बिहार की जलवायु के लिए ब्लैक बंगाल बकरी सबसे बढ़िया मानी जाती है. वहीं कुछ बकरी पालन करने वाले लोग तोतापुरी व सिरोही नस्ल की बकरियों का पालन कर रहे हैं. पटना के रहने वाले असरनाल हसन शौक के तौर पर तोतापुरी एवं सिरोही नस्ल की बकरियों का पालन कर रहे हैं और इनका मानना है कि इनके लिए आम बकरियों की तुलना में बेहतर प्रबंधन करने की जरूरत पड़ती है. लेकिन, लागत का ट्रिपल मुनाफा भी देती हैं.

वेटनरी कॉलेज पटना के पशु चिकित्सक डॉ आलोक बसु कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि तोतापरी,सिरोही,सहित अन्य नस्ल की बकरियों का पालन बिहार में नहीं किया जा सकता है. लेकिन, रखरखाव पर ध्यान अधिक देने की जरूरत है.अगर इनके पालने में खर्च है. तो इनका दाम भी बहुत ज्यादा मिलता है.

यहां समझे लागत और ट्रिपल मुनाफे का गण‍ित 

पटना के रहने वाले 32 वर्षीय असरनाल हसन 'किसान तक' को बताते हैं कि देशी नस्ल की बकरियों की तुलना में बाहरी नस्ल की बकरी तोतापुरी और सिरोही को पालने में काफी ध्यान देना पड़ता है. इसके लिए एक व्यक्ति पूरे दिन लगा रहता हैं. यह कहते हैं कि बकरीद के समय एक बकरी कीमत डेढ़ लाख से लेकर पौने दो लाख रुपए तक रहती हैं. तोतापुरी नस्ल की तीन महीने की बकरी को करीब 48 हजार रुपए में खरीदा था, जिसकी डेढ़ साल के बाद कीमत करीब एक लाख रुपए से अधिक है. वहीं सिरोही की ओरिजनल नस्ल की बकरी के पांच महीने के बच्चे को 40 हजार रुपए में खरीदा था. जिसका हाल के समय में वजन एक क्विंटल से ज्यादा है. और दाम एक लाख से अधिक है. 

बकरियों के लिए करते हैं विशेष प्रबंधन

इन बकरियों का पालन करने वाले जोखू कहते हैं कि इनके लिए ठंड के मौसम में हीटर और गर्मी के मौसम में पंखा व कूलर का व्यवस्था करनी होती है. वहीं यह जहां रहती हैं. उस जगह की प्रति दिन चार से पांच बार सफाई की जाती है. इसके साथ ही पीने के लिए प्यूरिफाई पानी दिया जाता है. तब जाकर वह इन स्थानों पर अपने को व्यवस्थित  कर पाती हैं. 

तोतापरी व सिरोही नस्ल की बकरियों के स्वास्थ्य के लिए रखें विशेष ध्यान

पटना वेटनरी अस्पताल के पशु चिकित्सक डॉ आलोक कुमार बसु कहते हैं कि गाय की  तुलना में बकरी पालन काफी सरल एवं बेहतर इनकम वाला व्यवसाय है. इसे लोग घर के छत पर भी आसानी से पाल सकते हैं. अगर सिरोही व तोतापुरी की बात की जाए तो किसान को इस बात का ध्यान देना होगा कि जहां वह बकरियों को रख रहा है. उस स्थान पर नमी न हो. क्योंकि इससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है. इसके साथ ही उसे समय पर कीड़ा की दवा देते रहना चाहिए. वहीं भोजन में मिनरल मिक्चर, दाना के साथ हरा चारा देना चाहिए. वहीं जगह बदलने के साथ ही भोजन चेंज करते हैं. इनमें इंट्रोसिमिया (Entirotoximia) बीमारी होने का ख़तरा बढ़ जाता है. इसके लिए कीड़े की दवा के साथ हर 3 महीने पर ईटी एवं पीपीआर का टीका देना बेहद जरूरी है.

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