बिहार जैसे विकासशील राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन रोजगार के साथ आत्मनिर्भर होने का बेहतर माध्यम बन चुका है. लेकिन बदलते समय के साथ जलवायु में हो रहे बदलाव के बीच पशुओं में रोगों का खतरा भी काफी बढ़ गया है. इसमें परजीवी जनित रोग पशुपालन के क्षेत्र में एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. वहीं इस विषय को लेकर पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेशवर सिंह ने कहा कि जल-जमाव राज्य की बहुत बड़ी समस्या है. बिहार के बहुत सारे जिले बाढ़ से प्रभावित होते हैं. इस दौरान जमे हुए पानी में परजीवी जनित रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इससे पशुओं के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.
बता दें कि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और इंडियन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ़ वेटरनरी पैरासाइटोलॉजी के द्वारा वेटरनरी पैरासाइटोलॉजी के 32वें राष्ट्रीय कांग्रेस एवं वर्तमान परिदृश्य में पशुधन की उत्पादकता में सुधार के लिए परजीवी रोगों का स्थायी नियंत्रण विषय पर तीन दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसका शुभारंभ बुधवार को पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की प्रधान सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी के द्वारा किया गया. इस मौके पर प्रधान सचिव ने कहा कि परजीवी रोग की रोकथाम किस तरह से की जाए. साथ ही इस रोग को लेकर लोगों के बीच जागरूकता लाने की जरूरत है.
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पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की प्रधान सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने कहा कि पशुपालन और मात्स्यिकी विज्ञान में राज्य दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है. बिहार अपने पुराने अस्मिता और गौरव को वापस पाने में सक्षम हुआ है. आगे उन्होंने कहा कि परजीवी से पशुओं के बचाव को लेकर काम करने की जरूरत है. इस रोग से पशुओं को बचाने के लिए इससे संबंधित जानकारी, प्रबंधन और जागरूकता काफी जरूरी है. वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति राज्य के पशुपालकों के बारे में बात करते हुए कहा कि आज भी योजनाओं, तकनीकों और ज्ञान को धरातल पर उतरने में काफी बड़ा अंतर दिखता है. इस अंतर को पाटने की जरूरत है.
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इंडियन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ़ वेटरनरी पैरासाइटोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. ए.संग्रन ने कहा कि जूनोटिक और पैरासाइट पर काफी अध्ययन और शोध की जरूरत है. क्लाइमेट चेंज परजीवी जनित रोगों के बढ़ने का एक बड़ा कारण है. वेक्टर बोर्न डिजीज के जोखिम का आकलन करके इसे कम किया जा सकता है. वहीं बिहार पशु विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ.जे.के. प्रसाद ने विश्वविद्यालय द्वारा किए गए 21 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समझौता ज्ञापन के तहत हो रहे काम पर प्रकाश डाला. इसके साथ ही छात्रों की उपलब्धि और नए कैंपस के निर्माण की जानकारी दी.
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