बिहार में ब्रुसेलोसिस से बचाव के लिए विशेष टीकाकरण अभियान शुरू, पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर

बिहार में ब्रुसेलोसिस से बचाव के लिए विशेष टीकाकरण अभियान शुरू, पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर

मादा पशुओं को संक्रामक गर्भपात रोग से बचाने के लिए बिहार सरकार ने ब्रुसेलोसिस टीकाकरण अभियान शुरू किया है. 19 सितंबर से चलाए जा रहे इस अभियान के तहत 4 से 8 माह की पाड़ी और बाछी का निशुल्क टीकाकरण किया जा रहा है.

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ब्रुसेलोसिस से बचाव के लिए विशेष टीकाकरण अभियान शुरू, पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने पर जोरपशुओं के लिए विशेष टीकाकरण अभियान शुरू

बिहार सरकार द्वारा पशु स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार के लिए एक और महत्वपूर्ण पहल की गई है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने राज्य भर में ब्रुसेलोसिस रोग से बचाव के लिए विशेष टीकाकरण अभियान की शुरुआत की है. यह अभियान 19 सितंबर से शुरू हो चुका है और 4 से 8 माह की पाड़ी और बाछी को नि:शुल्क टीके लगाए जा रहे हैं.

यह टीकाकरण सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक, पशु चिकित्सकों और टीकाकर्मियों की टीम द्वारा घर-घर जाकर किया जा रहा है. अभियान जिला परिषद सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और वार्ड सदस्य की देखरेख में संचालित किया जा रहा है.

ब्रुसेलोसिस क्या है और कितना खतरनाक है?

ब्रुसेलोसिस (Brucellosis), जिसे संक्रामक गर्भपात के नाम से भी जाना जाता है, एक खतरनाक जीवाणु जनित रोग है. यह पशुओं — विशेष रूप से गाय, भैंस, सूअर, बकरी और भेड़ों में गर्भपात, बांझपन, दूध उत्पादन में गिरावट और प्रजनन संबंधी समस्याएं उत्पन्न करता है.

सबसे अहम बात यह है कि यह एक ज़ूनोटिक रोग है, यानी यह इंसानों में भी संक्रमित पशुओं या उनके उत्पादों (जैसे कच्चा दूध) के माध्यम से फैल सकता है. इससे मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है.

राज्य सरकार की वर्षों से चल रही मुहिम

राज्य सरकार पिछले 10 वर्षों से ब्रुसेलोसिस टीकाकरण का अभियान चला रही है. इसके अलावा, 18 वर्षों से सात प्रमुख पशु रोगों से बचाव के लिए मुफ्त टीकाकरण किया जा रहा है. इनमें शामिल हैं:

  • H.S. (Haemorrhagic Septicaemia)
  • B.Q. (Black Quarter)
  • F.M.D. (Foot and Mouth Disease)
  • L.S.D. (Lumpy Skin Disease)
  • P.P.R. (Peste des petits ruminants)
  • ब्रुसेलोसिस
  • क्लासिक स्वाइन फीवर

पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 7 करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया गया था, जिससे पशु मृत्यु दर में कमी और उत्पादकता में सुधार दर्ज किया गया है.

पशुपालकों से अपील

पशुपालन विभाग ने पशुपालकों से अपील की है कि यदि अब तक उनके पशु का टीकाकरण नहीं हुआ है, तो वे पंचायत प्रतिनिधियों या नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें. टीकाकरण पूरी तरह निःशुल्क और सुरक्षित है.

पिछले 18 वर्षों से बिहार में पशुओं को सात प्रमुख रोगों से बचाव के लिए निःशुल्क टीके लगाए जा रहे हैं. इन टीकों के कारण पशुओं की असमय मृत्यु में कमी आई है. वहीं, पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य के लगभग 7 करोड़ से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया गया था. जिन रोगों से बचाव हेतु टीके लगाए गए. उनमें एच.एस. एवं बी.क्यू, एफ.एम.डी., एल.एस.डी., पी.पी.आर., ब्रुसेल्ला,क्लासिक स्वाइन फीवर शामिल हैं. इसी कड़ी में 19 सितंबर से ब्रुसेलोसिस से बचाव के लिए नया अभियान शुरू किया गया है.

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