जलवायु परिवर्तन की चुनौती को देखते हुए पल पल बदलते मौसम के मिजाज का सीधा असर किसानों पर पड़ता है. यूपी के किसानों को इस चुनौती से निपटने में मदद करने के लिए राज्य कृषि अनुसंधान परिषद के 'क्राप वेदर वॉच ग्रुप' ने तात्कालिक रणनीति बनाई है. कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. संजय सिंह की अध्यक्षता में हुई समूह की महत्वपूर्ण बैठक में मौसम के मौजूदा रुख को देखते हुए किसानों के लिए भावी रणनीतिक कार्ययोजना पर अमल करने का परामर्श दिया गया है. बैठक में मौजूद मौसम विभाग एवं कृषि विश्वविद्यालयों के मौसम वैज्ञानिकों, कृषि वैज्ञानिकों, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग, गन्ना विभाग तथा परिषद के अधिकारियों एवं विशेषज्ञों ने किसानों के लिए रणनीति आधारित परामर्श जारी किया है.
परिषद के मीडिया प्रभारी विनोद कुमार तिवारी ने बताया कि खरीफ की आगामी फसल को बोने की तैयारियों को देखते हुए मई का महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे में चक्रवाती तूफान 'मोका' के कारण यूपी सहित देश के तमाम इलाकों में मौसम का उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है. इसके मद्देनजर खरीफ सीजन के लिए किसानों की तैयारियों पर पड़ने वाले संभावित असर को देखते हुए यूपी सरकार ने वैज्ञानिकों से हालात का बारीक विश्लेषण कर किसानों के लिए उपयुक्त रणनीति बनाने को कहा है.
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इस क्रम में यूपी कृषि अनुसंधान परिषद एवं मौसम विभाग के वैज्ञानिकों और यूपी सरकार के कृषि से जुड़े सभी विभागों के आला अधिकारियों ने मौसम के रुख और भावी रणनीति से किसानों को अवगत कराने के लिए यह पहल की है. तिवारी ने बताया कि मौसम विभाग के विश्लेषण के अनुसार 17 मई से 23 मई तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में धूल भरी आंधी एवं गरज चमक के साथ छिटपुट वर्षा होने की संभावना है. इस अवधि में प्रदेश के पश्चिमी, पूर्वी, मध्य एवं बुंदेलखण्ड अंचलों में आसमान मुख्यतः साफ रहेगा. इस अवधि के पहले 3 दिनों में अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान में कोई विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है. इसके बाद 20 एवं 21 मई को प्रदेश के सभी अंचलों में तापमान में 2 से 3 डिग्री से. का इजाफा हो सकता है. इस कारण बुंदेलखण्ड, विन्ध्य क्षेत्र एवं आस-पास के जिलों में लू का प्रकोप रहने का अनुमान है.
तिवारी ने बताया कि सप्ताह के पहले 5 दिनों में यूपी के अधिकांश हिस्सों में औसत से तेज लू चलने और से धूल भरी पश्चिमी हवाओं का प्रकोप रह सकता है. इसके बाद 22 एवं 23 मई को बुंदेलखण्ड, पश्चिमी एवं मध्य क्षेत्र के कुछ जनपदों में गरज चमक के साथ हल्की वर्षा होने की संभावना है. इस दौरान प्रदेश के शेष भागाें में मौसम सामान्यतः शुष्क रहने की संभावना है.
उन्होंने बताया कि 17 से 23 मई के दौरान शुरुआती 05 दिनों में अधिकतम सापेक्षिक आर्द्रता 45 से 65 प्रतिशत के बीच एवं न्यूनतम 20 से 30 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है. इस दौरान 22 एवं 23 मई को बुंदेलखण्ड, पश्चिमी एवं मध्य यूपी के तमाम जिलों में अधिकतम आर्द्रता 60 से 80 प्रतिशत एवं न्यूनतम 30 से 50 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है.
इसके बाद एक बार फिर 25 एवं 26 मई को पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने के आसार हैं. पश्चिमी यूपी में भी 26 मई को और 27 मई को उत्तरी क्षेत्र के जिलों में हल्की वर्षा हो सकती है. इस दौरान पूर्वी जिलों में कहीं-कहीं तेज हवाओं के साथ ओले पड़ने की भी आशंका है.
क्राप वेदर वॉच ग्रुप ने यूपी में मौसम के संभावित रुख को देखते हुए किसानों को अगले एक सप्ताह के दौरान कृषि प्रबन्धन रणनीति के तहत कुछ खास उपाय करने की सलाह दी है. इसके तहत खरीफ फसलों की बुवाई से पहले मिट्टी परीक्षण कराने, धान की रोपाई वाले प्रक्षेत्रों में हरी खाद के लिए सनई की 80 से 90 किग्रा एवं ऊँचा का 60 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई करने को कहा है. साथ ही धान की नर्सरी लगाने से पहले ट्राइकोडर्मा हरजियेनम की 4 से 6 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज का ट्रीटमेंट करने का सुझाव दिया गया है.
इसके अलावा अनियमित मौसम को देखते हुए मिट्टी में भूमि जनित रोगों का खतरा गहराने के मद्देनजर इस पर नियंत्रण के लिए बुआई से पहले खेत की मिट्टी का ट्रीटमेंट करने की सलाह दी है. इसके लिए किसानों को ट्राइकोडर्मा विरडी 1 डब्ल्यूपी अथवा ट्राइकोडर्मा हरजियेनम 2 डब्ल्यूपी की 2.5 किग्रा मात्रा को 60 से 75 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छींटा देकर 8 से 10 दिनों तक छाया में रखने के बाद एक हेक्टेयर क्षेत्र की बुआई के पूर्व आखिरी जुताई के समय खेत में मिलाने को कहा गया है. इससे शीथ ब्लाईट और मिथ्या कण्डुआ आदि रोगों से बचाव किया जा सकता है. कृषि वैज्ञानिकों के सलाह दी है कि अगले एक सप्ताह तक जिन इलाकों में तापमान अधिक रहने की संभावना है, उनमें उर्द, मूंग, सूरजमुखी और गर्मी की सब्जियों की फसलों एवं लीची तथा आम के बागों में पर्याप्त नमी बनाये रखें.
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क्राप वेदर वॉच ग्रुप की ओर से किसानों को सलाह दी गई है कि इस साल मौसम की अनियमित गतिविधियां ज्यादा तीव्रता से देखने को मिल रही हैं, इसलिए खरीफ में किसानों को कम अवधि की धान बोना फायदेमंद रहेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा अवधि की धान पर अनियमित मौसम का प्रकोप भारी पड़ सकता है. इसके मद्देनजर किसानों से धान की कम या मध्यम अवधि वाली किस्मों में शुमार एनडीआर 2064, एनडीआर 2065, नरेन्द्र धान 359, मालवीय धान 36 और एचयूआर 907 बोने की अपेक्षा की जाती है. जिन इलाकों में ये किस्में उपलब्ध नहीं हों, वहां किसान नरेन्द्र 3112-1, शियाट्स धान- 1, शियाट्स धान-2, सरजू 52, एमटीयू 10, पंत धान 24, पंत धान 26 पंत धान 28 की बुआई कर सकते हैं. जो किसान संकर प्रजातियों का इस्तेमाल करना चाहते हों, वे एराइज 6644 गोल्ड, प्रो एग्रो 6201 एराइज, प्रो एग्रो 6444 एराइज, एचआरआई 157, पीएचबी 71, नरेन्द्र संकर धान-2, 3, केआरएच 2, पीआरएच 10, जेकेआरएच 401, वीएसआर 202, यूएस 312, आरएच 1531, सहयाद्री 4 एवं सवा 127 किस्मों को बो सकते हैं.