पश्चिमी विक्षोभ के चलते मौसम में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. जनवरी महीने में जहां कड़ाके की ठंड पड़ी, तो वही फिर बारिश भी हुई. अब तेज हवाओं ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. उत्तर प्रदेश में मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे तक 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का अनुमान जताया है. ऐसे में एक बार फिर जहां न्यूनतम तापमान में 3 से 4 डिग्री सेंटीग्रेड की गिरावट दर्ज की गई है तो वही किसानों के लिए कृषि विभाग की तरफ से भी विशेष अलर्ट जारी किया गया है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक अगले दो दिनों तक किसानों को खेत में सिंचाई करने से बचना चाहिए, क्योंकि गेहूं और सरसों की फसल अब तैयार होने के करीब है. ऐसे में हवाओं से फसल को नुकसान हो सकता है.
मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक अगले 48 घंटे तक उत्तर प्रदेश में 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी जिसके चलते पंजाब, हरियाणा ,दिल्ली ,उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तरी राजस्थान का इलाका प्रभावित रहेगा. इन राज्यों में न्यूनतम तापमान में 3 से 5 डिग्री की गिरावट भी दर्ज की गई है. मौसम वैज्ञानिक आलोक पांडे ने बताया कि 16 फरवरी के बाद मौसम में फिर बदलाव देखने को मिलेगा और न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी होगी.
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उत्तर प्रदेश में अगेती गेहूं और सरसों की फसल अब लगभग तैयार के करीब पहुंच गई है. ऐसे में किसानों को इन दोनों फसलों की सिंचाई न करने की सलाह दी जा रही है. सिंचाई करने से जहां मिट्टी में जड़ों की पकड़ कमजोर हो जाएगी तो वहीं दूसरी तरफ हवाओं की तेज गति से फसल के गिरने का खतरा भी बढ़ जाएगा जिससे उत्पादन भी प्रभावित होगा. ऐसे में अगले 48 घंटे तक किसानों को विशेष सावधानी बरतना चाहिए. आलू, चना और मटर की फसल के लिए तेज हवाओ से नुकसान नहीं होगा .
वर्ष 2022 में फरवरी-मार्च में ही न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी जिसका असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ा. सामान्य उत्पादन के मुकाबले गेहूं की पैदावार कम हुई है जिसका असर अभी तक बाजार में दिखाई दे रहा है. वही पिछले हफ्ते तापमान में बढ़ोतरी के चलते कृषि वैज्ञानिकों को चिंता सताने लगी है कि कहीं पश्चिमी विक्षोभ के चलते गेहूं की फसल पर बुरा असर ना हो. हालांकि तेज हवाओं के चलते न्यूनतम तापमान में गिरावट से गेहूं को लेकर किसी भी तरह की चिंता की बात नहीं है.