जानकारों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे पहला असर फसल चक्र पर पड़ रहा है. इस चुनौती से निपटना किसानों के लिए मुश्किल भरा साबित हो रहा है. इस मुश्किल को आसान बनाने के उपाय वैज्ञानिकों द्वारा तलाशे जा रहे हैं. इस दिशा में निरंतर हो रहे प्रयासों की समीक्षा एवं जलवायु परिवर्तन जनित अन्य चुनौतियों पर देश के सभी कृषि विश्वविद्यालय, यूपी में एक मंच पर मंथन करेंगे. यूपी में झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय में आगामी 7 और 8 अप्रैल को इस विषय पर राष्ट्रीय स्तर पर एक सेमिनार का आयोजन किया जाना है.
रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक, शिक्षा प्रसार, डॉ अनिल कुमार ने 'किसान तक' को बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उपज पर पड़ रहा असर, सबसे बड़ी चुनौती बन कर सामने आया है. जलवायु परिवर्तन से खेती पर पड़ रहे प्रभाव से जुड़े सभी पहलुओं पर वैज्ञानिक नजरिए से विचार मंथन करने के लिए यह सेमिनार आयोजित किया गया है.
उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में देश के सभी 75 कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति शिरकत करेंगे. इसके अलावा विभिन्न संस्थाओं से जुड़े कृषि वैज्ञानिक भी सेमिनार में शामिल होंगे.
डा कुमार ने बताया कि देश के लगभग सभी कृषि विश्वविद्यालयों में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से खेती पर पड़ रहे प्रभाव पर शोध चल रहा है. उन्होंने बताया कि झांसी में आयोजित हो रहे सेमिनार में इन सभी शोध कार्यों के परिणामों को भी साझा किया जाएगा. इन पर विस्तार से विचार विमर्श होगा. इसका मकसद देश के विभिन्न इलाकों में जलवायु परिवर्तन से खेती पर पड़ रहे अलग अलग तरह के प्रभावों को पहचान कर किसानों को इससे अवगत कराना एवं इन प्रभावों से निपटने के लिए उन्हें सक्षम बनाना है.
रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अशोक कुमार ने बताया कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से खेती पर पड़ रहे प्रभावों पर विचार मंथन के लिए यह पहला राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है. इसमें देश के सभी 75 कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति पहली बार एक मंच पर मौजूद रहकर इस विषय की गंभीरता को देखते हुए भावी रणनीति पर निर्णायक कदम उठाने का रोडमैप बनाएंगे. डॉ कुमार ने बताया कि इस विषय पर चल रहे देशव्यापी शोध के आधार पर सम्मेलन में भविष्य की रणनीति भी तय की जाएगी.
डाॅ कुमार ने बताया कि सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के कारण जिन इलाकों के मौसम चक्र में जिस प्रकार का बदलाव आ रहा है, उसके अनुरूप फसलों को ढालने के लिए फसलों के गुणसूत्र यानि जींस में भी बदलाव पर विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस दिशा में देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में पहले से ही शोध कार्य चल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कुलपतियों के सम्मेलन में अलग अलग इलाकों के अनुरूप फसलों के जींस में बदलाव पर हुए शोध साझा किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि हाल ही में हुई ओलावृष्टि, अधिक समय तक गर्मी पड़ने और सर्दी का मौसम सिकुड़ने जैसी मौसम संबंधी गतिविधियों के कारण फसलों की उपज पर असर पड़ रहा है. इससे किसानों की आय एवं उत्पादकता, तेजी से प्रभावित हो रही है. सम्मेलन में इन पहलुओं का भी विश्लेषण किया जाएगा.
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