May Hottest Month: मई 2024 दुनिया का सबसे गर्म महीना रहा, फसलों के उत्पादन पर बुरा असर पड़ने का डर 

May Hottest Month: मई 2024 दुनिया का सबसे गर्म महीना रहा, फसलों के उत्पादन पर बुरा असर पड़ने का डर 

वैश्विक मौसम एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के अनुसार मई लगातार 12वां महीना रहा जब वैश्विक औसत तापमान ने रिकॉर्ड बनाया. मई 2024 ke तापमान मई 2020 में दर्ज कि गए हाईएस्ट तापमान से 0.19 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है. बढ़े तापमान से फसलों के उत्पादन पर बुरा असर होने का डर गहरा गया है.

वैश्विक मौसम एजेंसी की निदेशक ने कहा कि जलवायु हमें लगातार चिंतित कर रही है. वैश्विक मौसम एजेंसी की निदेशक ने कहा कि जलवायु हमें लगातार चिंतित कर रही है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 07, 2024,
  • Updated Jun 07, 2024, 4:05 PM IST

इस साल 2024 में दुनिया का सबसे गर्म महीना मई दर्ज किया गया है. यूरोपीय यूनियन की संस्था कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) ने कहा है कि 2024 में दुनिया का सबसे गर्म महीना मई रहा है. इस महीने ग्लोबल एवरेज सरफेस टेंपरेचर 1991-2020 के औसत से 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है. मौसम एजेंसी की निदेशक ने कहा कि पिछले 12 महीनों ने पहले कभी नहीं देखे गए रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इसका मुख्य कारण हमारे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ट्रॉपिकल प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो घटना है. अधिकतम वैश्विक तापमान के कारण भारत को कठिन समय का सामना करना पड़ा है और फसलों के उत्पादन पर बुरा असर होने का संकट है.  

वैश्विक मौसम एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) के अनुसार मई लगातार 12वां महीना रहा जब वैश्विक औसत तापमान ने रिकॉर्ड बनाया. मई 2024 में तापमान मई 2020 में दर्ज कि गए हाईएस्ट तापमान से 0.19 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है. मौसम एजेंसी ने कहा कि 2015-16 में पहले भी असामान्य और इसी तरह का मासिक वैश्विक तापमान रिकॉर्ड किया गया था. 

एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार मई 2024 के लिए वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.52 डिग्री सेल्सियस अधिक था. यह जुलाई 2023 से लगातार 11वां महीना था जब 1.5 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान रहा. मई 2024 डेटा रिकॉर्ड में किसी भी पिछले मई की तुलना में वैश्विक रूप से अधिक गर्म था, जिसमें औसत सरफेस एयर टेंपरेचर 15.91 डिग्री सेल्सियस था, जो मई 1991-2020 के औसत से 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक था.

पिछले 12 महीनों में सभी रिकॉर्ड टूटे 

आंकड़ों से पता चलता है कि जून 2023 से मई 2024 तक पिछले 12 महीनों के लिए वैश्विक औसत तापमान रिकॉर्ड पर सबसे अधिक है. तापमान 1991-2020 के औसत से 0.75 डिग्री सेल्सियस अधिक और 1850-1900 के औसत से 1.63 डिग्री सेल्सियस से अधिक है. कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की निदेशक सामंथा बर्गेस ने कहा कि जलवायु हमें लगातार चिंतित कर रही है. पिछले 12 महीनों ने पहले कभी नहीं देखे गए रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इसका मुख्य कारण हमारे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ट्रॉपिकल प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो घटना है. जब तक वैश्विक उत्सर्जन शून्य नहीं हो जाता तब तक जलवायु गर्म होती रहेगी और रिकॉर्ड तोड़ती रहेगी. 

पूरे एशिया में औसत से ज्यादा सूखे के हालात 

वैश्विक मौसम एजेंसी ने कहा कि पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में तापमान औसत से कम था जो ला नीना के बढ़ने का संकेत देता है. लेकिन, पिछले महीने कई क्षेत्रों में समुद्र के ऊपर हवा का तापमान असामान्य रूप से हाई लेवल पर रहा. मई में समुद्र की सतह का तापमान (SST) 20.93 डिग्री सेल्सियस था, जो महीने के लिए रिकॉर्ड पर हाईएस्ट वैल्यू था. यह लगातार चौदहवां महीना था जब SST वर्ष के संबंधित महीने के लिए सबसे गर्म था. मौसम एजेंसी ने कहा कि मई में पूरे एशिया में औसत से ज्यादा सूखे के हालात दर्ज किए गए हैं. 

भारतीय फसलों के उत्पादन पर असर 

पिछले 12 महीनों में अधिकतम वैश्विक तापमान के कारण भारत को कठिन समय का सामना करना पड़ा है. अधिक तापमान का कारण गर्म पानी की घटना अल नीनो है, जो जून 2023 में उभरी थी. भारत ने दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व मानसून की कमी का अनुभव किया, इसके अलावा सर्दियों और प्री-मानसून अवधि के दौरान सामान्य से कम बारिश हुई है. इससे फसलों के उत्पादन पर असर पड़ा है. 

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