हिमाचल प्रदेश में मॉनसून का कहर जारी है. यहां मंडी-थुनाग के पार्किरी जिले में हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (16 मेगावाट) को अचानक आई बाढ़ के कारण भारी नुकसान पहुंचा है. दरअसल, बिजली टनल पर अचानक मलबा गिर गया जिससे पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान बताया जा रहा है.
मंडी शहर के साथ लगते बिजनी में निर्माणाधीन टनल के द्वार का उपरी हिस्सा भारी भूस्खलन के कारण धराशायी हो गया. गनीमत यह रही कि कंपनी प्रबंधन ने यहां खतरे को भांपते हुए पहले ही कार्य बंद करवा दिया था, जिसके चलते किसी भी तरह का कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है. भूस्खलन के कारण कुछ मलबा हाईवे पर आकर गिर गया जिस कारण पठानकोट-मंडी नेशनल हाईवे कुछ देर तक यातायात के लिए बाधित रहा. इस घटना का एक लाइव वीडियो भी सामने आया है, जिसमें निर्माणाधीन में लगे मजदूर लैंडस्लाइड होने पर जान बचाकर भागते हुए नजर आ रहें है. यह घटना मंगलवार दोपहर की है.
टनल का निर्माण कर रही भारत कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के एचआर हेड रोहित शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि टनल के प्रवेश द्वार के ऊपर निजी भूमि पर बारिश के कारण जलभराव हो रहा था और इसकी वजह से नीचे की तरफ को पानी का रिसाव शुरू हो गया था. इसी कारण टनल के बाहरी भाग में दरारें पड़ गई थी और कंपनी प्रबंधन ने एहतिआत के तौर पर पहले ही काम को रोक कर सभी लोगों को यहां से हटा दिया था. मंगलवार दोपहर के समय यह हिस्सा जमींदोज हो गया. उन्होंने बताया कि निर्माणाधीन टनल को इससे किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है. मुहाने पर जो मलबा गिरा है उसे हटाया जा रहा है और बाहरी तौर पर जो नुकसान हुआ है उसकी तुरंत प्रभाव से मरम्मत कर दी जाएगी. उन्होंने बताया कि कुछ मलबा हाईवे पर आकर गिर गया था जिसे भी तुरंत प्रभाव से हटाकर हाईवे को बहाल कर दिया गया था.
बता दें कि पठानकोट से मंडी तक फोरलेन का निर्माण कार्य चल रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत मंडी शहर को बाईपास करने के लिए साढ़े तीन-तीन किलोमीटर की दो टनलों का निर्माण किया जा रहा है. इस काम को भारत कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है. अभी इस काम को शुरू हुए कुछ ही समय हुआ है और इसे आगामी तीन वर्षों में पूरा किया जाना है.
दूसरी ओर, मंडी में ही बादल फटने और अचानक आई बाढ़ से 4 लोगों की मौत हुई है. 16 लोगों का अभी तक पता नहीं चल पाया है. कुल 18 घर क्षतिग्रस्त हैं. 12 गौशालाएं नष्ट हो गईं और 30 मवेशियों की मौत हो गई. अब तक 39 लोगों को बचाया गया है. एनडीआरएफ की टीमें मंडी के गोहर और करसोग इलाके में पहुंच रही हैं. एसडीआरएफ की टीम थुनाग के रास्ते पर है. मंडी में 3 जगहों पर बादल फटे हैं जिनमें गोहर, करसोग और धर्मपुर शामिल हैं. बाकी जगहों पर भारी बारिश या अचानक आई बाढ़ का असर है.
मंडी में बादल फटने की घटना पर मंडी सेंट्रल रेंज की डीआईजी सौम्या सांबशिवन ने कहा, "... गोहर क्षेत्र में 9 लोग लापता बताए गए हैं. उन्हें खोजने के लिए खोज जारी है. एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें गोहर और करसोग क्षेत्रों में तैनात हैं और बचाव अभियान चला रही हैं. मैं और एसएचओ अलग-अलग स्थानों पर बचाव कार्यों की देखरेख कर रहे हैं... कुल्लू और मंडी जिलों में बादल फटने की घटनाएं सामने आ रही हैं... हम सभी से मौसम विभाग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने और अपनी यात्रा सीमित करने का आग्रह करते हैं... भूस्खलन, सड़क अवरोधों और बादल फटने की घटनाओं से निपटने और प्रभावित लोगों को बचाने के लिए राज्य के सभी जिलों में टीमें सक्रिय रूप से काम कर रही हैं..."
बरसात की दस्तक के साथ ही कुल्लू में जनजीवन पर भी असर पड़ने लगा है. कुल्लू जिले में नदी-नाले भी उफान पर है. कुल्लू ज़िला में भी मौसम विभाग द्वारा 1 से 5 जुलाई तक येलो अलर्ट जारी किया गया है. प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है. इसी बीच कई स्थानों में हुई भारी बारिश और भूस्खलन के कारण मंडी-कुल्लू के बीच एनएच कई स्थानों पर यातायात प्रभावित हुआ है.
डीसी कुल्लू ने बताया कि मनाली के साथ लगते बिंदु ढांक के पास बीते दिनों हुई भारी बारिश के बाद व्यास नदी के बहाव से चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग को नुकसान पहुंचा है. हालांकि फिलहाल सिंगल लेन पर ट्रैफिक सुचारू है और लोगों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही है. प्रशासन द्वारा जल्द ही डबल लेन बहाल करने की बात कही गई है.
रामपुर की ओर कड़सा और फडी नाला में मलबा आने से एनएच-305 पूरी तरह बंद है. वहीं, चंडीगढ़-मनाली एनएच मंडी और कुल्लू के बीच भूस्खलन के चलते कई स्थानों पर अवरुद्ध हो गया है. इसे दोपहर बाद तक बहाल किए जाने की संभावना है. कुल्लू ज़िले में अभी तक 5 संपर्क मार्ग बंद हैं, बंजार क्षेत्र में 11 और सबसे अधिक 21 मार्ग निर्मंड ब्लॉक में अवरुद्ध हैं. मनाली में 8 डीटीआर (डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर रूट्स) और थलौट डिवीजन में 90 डीटीआर बाधित हैं, जिन्हें जल्द ठीक करने का कार्य जारी है. उन्होंने कहा सभी आवश्यक सेवाओं को बहाल करने के प्रयास युद्ध स्तर पर जारी हैं.
आपको बता दें कि पहाड़ से लेकर मैदान तक मूसलाधार बारिश का दौर जारी है. पहाड़ों पर आई मुश्किलों से जंग जारी है, मैदान में भी हौसले पस्त करने वाली बाढ़-बारिश से जद्दोजहद जारी है. मॉनसून आने के साथ कई जगहों पर संकट का सैलाब डरा रहा है. हिमाचल प्रदेश से लेकर उत्तराखंड में मॉनसून के आते ही लोगों को नई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
उत्तराखंड में भारी बारिश के रेड अलर्ट के बीच आपदा से निपटने की तैयारियों को परखा जा रहा है. प्रदेश के 5 जिलों में मॉकड्रिल की जा रही है, इस मॉकड्रिल में NDRF, SDRF, पुलिस, होमगार्ड के साथ राहत बल के जवान शामिल हैं. कुछ यही हालात ऋषिकेश-बद्रीनाथ नेशनल हाईवे की है, जहां तेज बारिश की वजह से पहाड़ दरक उठा, और भरभराकर सारा मलबा नेशनल हाईवे के बीचों बीच गिरा. गनीमत रही कि किसी तरह की क्षति नहीं पहुंची, लेकिन रास्ता बंद होने की वजह से राहगीरों को काफी दिक्कतें हुई. किन्नौर में बादल फटने की वजह से रामपुर के सिकासेरी गांव में काफी नुकसान हुआ है. जिला प्रशासन की तरफ से राहत-बचाव के कार्य किए जा रहे हैं.
मंडी से अमन भारद्वाज, चमोली से कमल नयन सिलोरी, उत्तरकाशी से ओंकार बहुगुणा, रामपुर से विशेष नेगी, ब्यूरो रिपोर्ट