राजस्थान में बारिश का दौर जारी है. इससे फसलों को नुकसान होने की आशंका है. इसे देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने एडवाइजरी जारी की है. इसमें बताया गया है कि बारिश को देखते हुए किसानों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं. आईएमडी ने कहा है कि किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसलों की बुवाई जल्द से जल्द पूरी कर लें. बाजरे की उन्नत किस्में एम.पी.एम.एच.-17 और एच.एच.बी.-67 (उन्नत) और ग्वार की किस्में आर.जी.सी.-936, आर.जी.सी.-1033 की बुवाई करें. फसलों की बुवाई वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए. जहां खेत में पर्याप्त नमी उपलब्ध हो, वहां किसानों को खरीफ की फसल की बुवाई करने की सलाह दी जाती है.
किसानों को सलाह दी जाती है कि यदि बाजरे की फसल जून माह में बोई गई है, तो बुवाई के 25 से 30 दिन बाद बारिश के साथ 20 किग्रा नाइट्रोजन डालें.
अरंडी की फसल की बुवाई के लिए खेत को दो बार जोतकर तैयार करें. जी.सी.एच.-4, जी.सी.एच.-5, आर.एच.सी.-1, डी.सी.एस.-9 और जी.सी.एच.-7 उन्नत किस्में हैं. इनकी अनुशंसित बीज दर 12-15 किग्रा/हेक्टेयर है. फास्फोरस और नाइट्रोजन के लिए अनुशंसित उर्वरक की मात्रा 20:20 किग्रा प्रति हेक्टेयर अंतिम जुताई के समय डालें.
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आने वाले दिनों में बारिश की संभावना के कारण पशुओं के रहने की जगह और उसके आसपास जलभराव की स्थिति हो सकती है, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ सकता है और मक्खियां भी बढ़ सकती हैं. इसलिए खड़े पानी को निकालने की व्यवस्था करें.
समय पर बोई गई बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार, तिल फसलों में खरपतवार नियंत्रण और मिट्टी में हवा का बहाव बने रहने के लिए निराई-गुड़ाई करें. किसानों को सलाह दी जाती है कि फसलों पर किसी भी प्रकार का छिड़काव बारिश के पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर ही करें.
बाड़मेर के किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि बाजरा MPMH-17, HHB-67 (उन्नत) और क्लस्टर बीन किस्मों RGC-936, RGC-1033 की बुवाई करें. फसलों की बुवाई वर्षा पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए. आने वाले पांच दिनों में बादल छाए रहने और हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है.
किसानों को सलाह दी जाती है कि यदि जून माह में बाजरे की फसल बोई गई है तो बुवाई के 25 से 30 दिन बाद वर्षा के साथ 20 किलोग्राम नाइट्रोजन डालें. अरंडी की फसल की बुवाई के लिए खेत को दो बार जोतकर तैयार करें. GCH-4, GCH-5, RHC-1, DCS-9 और GCH-7 उन्नत किस्में हैं. अनुशंसित बीज दर 12-15 किलोग्राम/हेक्टेयर है. फास्फोरस और तिल के लिए अनुशंसित उर्वरक की मात्रा 20:20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. तिल की फसल की बुवाई के लिए उन्नत किस्में आर.टी.-46, आर.टी.-125 आर.टी.-127 और आर.टी.-346 हैं. इनकी बुवाई कर सकते हैं.
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जालोर जिले के लिए आईएमडी ने सलाह में कहा है कि आने वाले दिनों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है. इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरीफ फसलों और फलों के बगीचों में बुवाई, रासायनिक छिड़काव और सिंचाई को कुछ समय के लिए टाल दें. आने वाले दिनों में घने बादल छाए रहने और हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है.
अगर मूंगफली की खड़ी फसल में दीमक और सफेद ग्रब का प्रकोप है, तो किसानों को सलाह दी जाती है कि वे बारिश के समय या सिंचाई के पानी के साथ फिप्रोनिल 5% एससी @ 1.5 लीटर/हेक्टेयर मिट्टी में मिलाएं.
नेपियर घास की रोपाई के लिए यह सबसे अच्छा समय है, इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पशुओं के लिए साल भर हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए नेपियर घास की रोपाई शुरू करें.
बाजरा की फसल में बुवाई के 25 से 30 दिन बाद बारिश या सिंचाई के पानी के साथ 20 किलोग्राम नाइट्रोजन डालें. बुवाई के तीसरे और चौथे सप्ताह तक निराई-गुड़ाई का काम कर लेना चाहिए और निराई-गुड़ाई 5 सेमी से अधिक गहरी न करें.