Haryana Weather News: हरियाणा में बारिश के बीच फसलों के लिए ये इंतजाम करें किसान, IMD ने दी सलाह

Haryana Weather News: हरियाणा में बारिश के बीच फसलों के लिए ये इंतजाम करें किसान, IMD ने दी सलाह

मौजूदा मौसम को देखते हुए किसानों को खरपतवार प्रबंधन अपनाना चाहिए, फसल को दो या तीन बार निराई करनी चाहिए. पहली निराई पहली सिंचाई से पहले करनी चाहिए. निराई के लिए ट्रैक्टर माउंटेड कल्टीवेटर/ट्रैक्टर से चलने वाले रोटरी वीडर/त्रिफली या व्हील हैंड हो का उपयोग करें.

बागवानी फसलों का बढ़ा उत्पादन (सांकेतिक तस्वीर)बागवानी फसलों का बढ़ा उत्पादन (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 26, 2024,
  • Updated Jul 26, 2024, 7:00 AM IST

हरियाणा में बारिश के मौसम को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. यह एडवाइजरी कपास, चावल, गन्ना, आम और सब्जी फसलों को लेकर दी गई है. आईएमडी ने कहा है कि यदि बारिश होने का पूर्वानुमान है तो सिंचाई, बुवाई के काम और रासायनिक खादों का प्रयोग रोक दें. फूल और फल बनने के स्टेज में ध्यान रखें कि फसल को पानी की कमी से नहीं जूझना पड़े. खेत में उचित जल निकासी बनाए रखें और बारिश के तुरंत बाद खेत में लगे अनावश्यक पानी को हटा दें, वरना फसल खराब हो सकती है.

एडवाइजरी में मौसम विभाग ने कहा है, कपास के खेतों में सफेद मक्खी के फैलने को रोकने के लिए खेत की मेड़ों, बंजर भूमि, सड़क के किनारे और सिंचाई चैनलों/नहरों पर उगने वाले कंघी बूटी, पीली बूटी, पुठ कंदा आदि जैसे खरपतवारों को हटा दें. सफेद मक्खी कपास के अलावा अन्य फसलों जैसे कि बैंगन, आलू, टमाटर, भिंडी, मूंग, मैश और ग्वार पर भी हमला करती है. इन फसलों पर सफेद मक्खी के समय पर प्रबंधन के लिए नियमित निगरानी की जानी चाहिए.

कपास

मौजूदा मौसम को देखते हुए किसानों को खरपतवार प्रबंधन अपनाना चाहिए, फसल को दो या तीन बार निराई करनी चाहिए. पहली निराई पहली सिंचाई से पहले करनी चाहिए. निराई के लिए ट्रैक्टर माउंटेड कल्टीवेटर/ट्रैक्टर से चलने वाले रोटरी वीडर/त्रिफली या व्हील हैंड हो का उपयोग करें. पिंक बॉलवर्म के हमले को नियंत्रित करने के लिए, कम से कम 10 माइक्रो लीटर गॉसीप्लर के साथ स्टिका/डेल्टा ट्रैप का उपयोग करें और इसे फसल या पौधे की ऊंचाई से 15 सेमी ऊपर रखें. 15 दिनों के बाद ट्रैप को बदलें और 1 ट्रैप/हेक्टेयर का उपयोग करें. समय-समय पर लीफ कर्ल वायरस से संक्रमित पौधे को उखाड़कर नष्ट कर दें.

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धान

आईएमडी ने कहा है,धान के खेतों में जड़-गांठ निमेटोड की रोकथाम के लिए, बुवाई से 10 दिन पहले खेत में अंतिम जुताई के समय प्रति वर्ग मीटर 40 ग्राम सरसों के बीज डालें. धान के बीज जनित रोगों की रोकथाम के लिए, नर्सरी लगाने से पहले बीज को 3 ग्राम स्प्रिंट प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें (8-10 मिली पानी में 3 ग्राम स्प्रिंट घोलें). प्रति एकड़ 12-15 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद डालें और खरपतवारों के उगने के लिए खेत की सिंचाई करें. बाद में अंकुरित खरपतवारों को मारने के लिए लगभग एक सप्ताह बाद खेत की दो बार जुताई करें.

गन्ना

यदि बारिश का पूर्वानुमान है तो फसल में सिंचाई, कृषि संबंधी काम और रासायनिक खाद का प्रयोग रोक दें. यदि पहले नहीं किया जा सका तो गन्ने की फसल पर मिट्टी चढ़ाने का काम करना चाहिए. यदि गन्ने के खेत में पानी भर जाता है तो खेत में उचित जल निकासी बनाए रखें और बारिश के तुरंत बाद रुके हुए पानी को हटा दें. दीमकों के नियंत्रण के लिए, मिट्टी से ढकने से पहले क्यारियों में बीज के ऊपर 400 लीटर पानी के साथ 200 मिली कोरजेन 18.5 एससी (क्लोरएंट्रानिलिप्रोएल) डालें. बोरर्स को नियंत्रित करने के लिए 10 दिनों के अंतराल पर प्रति एकड़ ट्राइकोग्रामा चिलोनिस से तैयार किए गए कोरसीरा सेफेलोनिका के 20,000 अंडे वाले ट्राइको-कार्ड का उपयोग करें.

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