Fox Nut Farming : मौसम व दाम की मार से मखाना की खेती करने वाले किसान परेशान

Fox Nut Farming : मौसम व दाम की मार से मखाना की खेती करने वाले किसान परेशान

समय से बारिश नहीं होने से मखाना की खेती प्रभावित हो रही है. किसानों का कहना है कि गर्मी अधिक पड़ने से मखाना के खेत सुख रहें हैं. पिछले साल सही दाम नहीं मिलने से कई किसानों ने खेती का रकबा कम कर दिया है.

दरभंगा जिला में करीब 5 हजार हेक्टेयर में होती है, मखाना की खेती, फोटो : किसान तक दरभंगा जिला में करीब 5 हजार हेक्टेयर में होती है, मखाना की खेती, फोटो : किसान तक
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Darbhanga,
  • May 02, 2023,
  • Updated May 02, 2023, 11:07 AM IST

बिहार में मखाना की खेती करने वाले किसान चिंतित है. मौसम के बदलते मिजाज ने किसानों के समाने सिंचाई का गहरा संकट खड़ा कर दिया है. मखाना की खेती करने वाले किसानों के अनुसार  पिछले दो साल से कम बारिश व अधिक गर्मी पड़ने की वजह से उत्पादन पर असर पड़ रहा है. वहीं प्रति वर्ष लागत में इजाफा हो रहा है, जबकि उस अनुपात में सही दाम नहीं मिल रहा है. इसकी वजह से कई किसान खेती का रकबा कम कर रहे हैं. मखाना वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी मखाना की फसल में फूल लगने का समय है. इस दौरान पानी की समस्या किसानों के लिए घाटे का सौदा बन सकता है. जल संकट की समस्या से बचने के लिए  किसान मई महीने में भी मखाना की खेती कर सकते हैं. वहीं कोसी व सीमांचल के किसानों की स्थिति थोड़ी बेहतर है.

 देश का करीब 80 प्रतिशत मखाना का उत्पादन उत्तरी बिहार के विभिन्न जिलों में किया जाता है.जलीय खेती होने की वजह से पूरे समय मखाना को पानी की जरूरत होती है. वहीं दरभंगा जिले के जाले प्रखंड के वेलवारा गांव के किसानों का कहना है कि मखाना की खेती में जितना मेहनत व खर्च लगता है.उसकी तुलना में दाम नहीं मिलने से कई किसान मखाना की जगह दूसरे फसल की खेती कर रहे हैं. 

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बारिश नहीं होने से सिंचाई का खर्च बढ़ा 

दरभंगा जिला में करीब 5 हजार हेक्टेयर में मखाना की खेती होती है. वहीं वेलवारा गांव के किसान धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि अप्रैल से मई के महीने में पानी की समस्या बनी रहती है. इस साल स्थिति थोड़ी ज्यादा चिंता जनक है, जहां तीन से चार दिनों के अंतराल पर पानी देना होता था. इस बार लगातार पानी देना पड़ रहा है. आगे वह बताते हैं कि अप्रैल महीने तक उनके गांव में करीब 70 एकड़ में खेती होती थी. मगर इस साल अभी तक 20 एकड़ में ही खेती हो पाई है. तालाब में पानी रहता है, लेकिन खेत में मखाने की खेती के दौरान पानी की दिक्कत बनी रहती है.अररिया जिला के मोहनी गांव के किसान प्रधान बेसरा कहते हैं कि बारिश नहीं होने की वजह से अभी एक एकड़ की सिंचाई में करीब 100 लीटर डीजल लग जा रहा है. अगर बारिश बीच-बीच में होती, तो प्रति एकड़ 60 से 70 लीटर ही डीजल लगता.

क‍िसान तक से बातचीत में दरभंगा मखाना अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ मनोज कुमार कहते हैं कि अभी मखाना में फूल लगने का समय है. इस समय कम से कम एक से डेढ़ फीट तक पानी होना चाहिए. अगर खेत में पानी कम होता है, तो निश्चित ही मखाना की फसल पर असर पड़ेगा. अभी तक जिन किसानों ने मखाना की खेती नहीं किए है. वे मई महीने में पौधा लगा सकते हैं.

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सिंचाई की सुविधा नहीं होने से खाली पड़े खेत, फोटो : किसान तक

बेहतर दाम नहीं मिलने से कुछ किसानों ने कम किया खेती

दरभंगा जिले के वेलवारा गांव निवासी उपेंद्र सहनी कहते हैं कि पिछले साल वे 15 एकड़ में मखाना की खेती किए थे, लेकिन इस साल 10 एकड़ में ही खेती किए हैं. वे खेती कम करने की वजह फसल में रोग और सही दाम नहीं मिलना बताते हैं. अररिया जिला के मोहनी गांव के किसान प्रधान बेसरा कहते हैं कि उनके गांव में पिछले साल 110 किसानों ने खेती किया था. इस साल संख्या 29 तक सिमट कर रह गया है. किसान प्रधान कहते हैं कि वह पिछले साल 64 एकड़ में खेती किए थे. वहीं इस साल 40 एकड़ में ही खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि पिछले साल दाम कम होने की वजह से कई किसानों ने खेत में ही फसल छोड़ दिया था. 2021 में 18 हजार रुपए प्रति क्विंटल मखाना का गुरिया (बीज) बिका था. वहीं पिछले 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल भाव रहा है. आगे वह बताते हैं कि एक एकड़ खेती में करीब 80 से 90 हजार रुपए तक खर्च आता है और करीब 12 से 13 क्विंटल तक गुरिया (बीज) निकलता है.

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