Tomato Price: लाल टमाटर ने किया मालामाल, किसान हर रोज कमा रहा 10 लाख रुपये

Tomato Price: लाल टमाटर ने किया मालामाल, किसान हर रोज कमा रहा 10 लाख रुपये

छत्तीसगढ़ के किसान अरुण कुमार साहू अपने 150 एकड़ के अलग-अलग खेतों से रोजाना 600 से 700 कैरेट टमाटर मार्केट में सप्लाई कर रहे हैं और इससे उन्हें रोजाना 10 लाख रुपये से अधिक की आमदनी हो रही है.

छत्तीसगढ़ के किसान अरुण कुमार साहू टमाटर की फसल से हर रोज कमा रहे 10 लाख रुपए छत्तीसगढ़ के किसान अरुण कुमार साहू टमाटर की फसल से हर रोज कमा रहे 10 लाख रुपए
देवेन्द्र मिश्रा
  • Dhamtari,
  • Jul 18, 2023,
  • Updated Jul 18, 2023, 4:57 PM IST

वर्तमान समय में टमाटर का रेट आसमान छू रहा है. 100 रुपये से लेकर 200 रुपये तक टमाटर बाजार में मिल रहा है. इससे रसोई में काफी फर्क आ गया है. इन सब का कारण बारिश में फसल नुकसान और मार्केट में टमाटर की आवक नहीं होना है. आप हैरान हो जाएंगे कि पूरे देश में जिस बारिश की वजह से किसानों की फसल चौपट हुई है. इसी बीच एक ऐसा किसान भी है जो रोजाना टमाटर बेचकर लाखों रुपये कमा रहा है. 

दरअसल, छत्तीसगढ़ में धमतरी जिले के एक किसान अरुण कुमार साहू जो अपने 150 एकड़ के अलग-अलग खेतों से रोजाना 600 से 700 कैरेट टमाटर मार्केट में सप्लाई कर रहे हैं और इससे उन्हें रोजाना 10 लाख रुपये से अधिक की आमदनी हो रही है.

ग्राफ्टिंग कर ले रहे टमाटर की बंपर पैदावार

किसान अरुण कुमार साहू अपने खेतों में बैगन की जड़ में ग्राफ्टिंग कर टमाटर की बंपर पैदावार ले रहे है. वर्तमान में वे सब्जी विक्रेताओं को 60 रुपये प्रति किलो यानी 1500 रुपये प्रति कैरेट की दर से टमाटर बेच रहे हैं.

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75 एकड़ रकबे में हुई है टमाटर की ग्राफ्टिंग

दरअसल, जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर वनांचल क्षेत्र नगरी से करीब 3-4 किलोमीटर दूर बिरनपुर गांव है. जहां 2 अलग-अलग खेतों में किसान अरुण कुमार साहू ने 75 एकड़ में सिर्फ टमाटर लगाए हैं. ये सभी ग्राफ्टिंग पौधे हैं. इन सभी टमाटर के पौधों में उग तो टमाटर रहे हैं, लेकिन इनकी जड़े बैगन की है. यही कारण है कि इतनी बारिश और पानी में भी टमाटर के पौधों में फलों की बंपर पैदावार हो रही है. 

300 एकड़ से ज्यादा रकबे में खेती

धमतरी जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 300 एकड़ से ज्यादा में खेती करने वाले अरुण कुमार साहू वर्ष 2007 से खेती कर रहे हैं. उनके इस फिल्ड में आने की रोचक बात ये है कि उन्होंने शुरू से ठान लिया था कि वे नौकरी नहीं करेंगे. यही कारण है कि रायपुर में बीएससी की पढ़ाई के दौरान वे पहले वर्ष की परीक्षा का पेपर देकर अपने घर लौट आए और घर में कहा कि उन्हें पढ़ाई नहीं करनी है. क्योंकि, उनको नौकरी नहीं करनी. इसके बाद उन्होंने अपने पुश्तैनी खेत में पहले धान उगाया, जो बारिश की वजह से खराब हो गया. तब किसानों को धान का सही मूल्य भी सरकार से नहीं मिल रहा था, इसलिए उन्होंने 105 एकड़ में चना की फसल ली. लेकिन उस वर्ष तीन दिनों तक लगातार हुई बारिश ने उनकी ये फसल भी बर्बाद कर दी. वे केवल 3 एकड़ में होने वाली फसल को ही बचा पाए. 

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इसके बाद उन्होंने हाईटेक खेती को समझने के लिए विमल भाई चावड़ा से सलाह ली. किसान अरुण कुमार साहू बताते हैं कि मुझे आज भी याद है कि विमल भाई चावड़ा से जब उनकी पहली मुलाकात हुई थी, तो वो उन्हें अपने खेत को दिखवाने के लिए अपने ड्राइवर को भेज दिए और वे 3 घंटे बारिश में वहां फंसे रहे, जहां उनका चौकीदार रहता था. यही कारण है कि वे आज भी उन्हें अपनी उन्नत खेती के लिए विमल भाई चावड़ा को अपना गुरू मानते हैं.

150 एकड़ में टमाटर की खेती 

किसान अरुण कुमार साहू बताते हैं कि वर्तमान में वे 150 एकड़ में टमाटर की फसल ले रहे हैं, बाकी में जाम, भाटा समेत अन्य सब्जियों की फसल ले रहे हैं. उनके ये टमाटर वर्तमान में ओड़िशा, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में सप्लाई होते हैं. लेकिन वे अपने प्रदेश के व्यापारियों को पहली प्राथमिकता देते हैं, जिससे यहां टमाटर के दाम तेजी से न बढ़े. (देवेन्द्र मिश्रा की रिपोर्ट)

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