Success Story: अरुणाचल के कीवी मिशन को सफल बनातीं टेगे रीटा... एक वाइनरी ने खोल दिए नए दरवाजे 

Success Story: अरुणाचल के कीवी मिशन को सफल बनातीं टेगे रीटा... एक वाइनरी ने खोल दिए नए दरवाजे 

Success Story: अरुणाचल प्रदेश की ज़ीरो वैली की टेगे रीटा ने उपेक्षित कीवी फल से देश की पहली वाइनरी ‘नारा आबा’ शुरू कर इतिहास रचा. स्थानीय किसानों को रोजगार, वाइन टूरिज्‍म और ग्‍लोबल मार्केट तक पहुंच दिलाने वाली इस महिला उद्यमी की प्रेरक कहानी जानें.

Tagey RIta Arunachal Tagey RIta Arunachal
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 10, 2025,
  • Updated Sep 10, 2025, 7:20 AM IST

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पिछले दिनों लोअर सुबनसिरी जिले के जीरो में अरुणाचल प्रदेश कीवी मिशन 2025-2035 को लॉन्‍च किया. एक्‍स पर कई पोस्‍ट्स में खांडू ने लिखा, 'यह पहल एक आत्मनिर्भर किसान समुदाय के निर्माण, पर्यावरण-अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने और हमारे राज्य को विश्व स्तरीय जैविक कीवी उत्पादन के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त कदम है.' इस मौके पर हम आपको एक ऐसे इंजीनियर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अरुणाचल प्रदेश की कीवी को एक नया मुकाम दिलाया और इसे एक उम्‍दा वाइन में बदलकर एक नई पहचान दिलाई. 

अब नहीं सड़ती फसल 

अरुणाचल प्रदेश की जीरो वैली की धुंध से ढकी वादियों में, स्टेनलेस-स्टील टैंकों के अंदर कुछ ऐसा हो रहा है जिसके बारे में शायद ही लोगों को मालूम हो. यहां एक ऐसी 'क्रांति' आकार ले रही है जिसने यहां के कृषि क्षेत्र को बदलकर रख दिया है. एक पूर्व इंजीनियर टेगे रीटा टाखे ‘नारा आबा’ की फाउंडर हैं जो देश की पहली कीवी वाइनरी है. उन्‍हें यह ख्‍याल तब आया जब एक दिन उन्होंने अपने पति के साथ वाइन का एक गिलास शेयर किया. उस समय उन्‍होंने सोचा कि क्यों न जीरो की भरपूर कीवी फसल, जो अक्सर बिके बिना सड़ जाती थी, को किसी और ऐसे प्रॉडक्‍ट में बदल दिया जाए जो लोगों का दिल जीत ले. 

रीटा का बचपन से ही फलों से गहरा रिश्ता रहा. वह जीरो वैली के बीरी गांव में अपने माता-पिता के घर सेब के बगीचों, आलूबुखारे और नाशपाती के पेड़ों से घिरी रहीं. वो दिन याद करते हुए रीटा कहती हैं, 'हमारे बगीचे में फल अक्सर गिरे पड़े सड़ जाते थे. यह नजारा मेरे मन पर हमेशा के लिए गहरी छाप छोड़ गया और खेती के प्रति मेरा नज़रिया गढ़ा.' साल 2016 में उन्होंने 4 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और अपनी बचत भी इसमें लगा दी. इसके बाद उन्होंने अपनी वाइनरी का नाम ‘नारा आबा’ रखा, जिसमें ‘नारा’ का अर्थ है स्थान या कबीला और ‘आबा’ का अर्थ है पिता. 

रीटा ने लिया एक रिस्‍क 

रीटा का यह दांव जोखिम भरा था जिसमें कर्ज, अनिश्चितता और स्थायी आय का नुकसान शामिल था. उन्होंने 5,000 फीट की ऊंचाई पर उगने वाली उप-उष्णकटिबंधीय किस्म कीवी से वाइन बनाने के लिए एक एक्‍सपर्ट वाइनमेकर को अप्‍वाइंट किया. रीटा कहती हैं, 'वाइनरी दरअसल एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट है जो फल की बेस्‍ट क्‍वालिटी को वाइन के रूप में प्रिजर्व करती है.  हमारी वाइन प्रचुरता, जरूरत और कमी की कहानी भी है. ' 

भारत के अल्को-बेवरेज सेक्टर में छोटे स्तर की उद्यमिता आसान नहीं है. अंगूर की वाइन को जहां स्थापित सप्लाई चेन और सदियों का तकनीकी अनुभव मिला हुआ है, वहीं रीटा को हर कदम शुरू से गढ़ना पड़ा. उदाहरण के लिए, शुरुआती दौर में उनकी बोतलें चीन के सिचुआन से मुंबई और कोलकाता के जरिए आयात होती थीं. इन पर मालभाड़ा फल की कीमत से भी ज़्यादा बैठता था. बाद में उन्होंने हैदराबाद से सप्लाई तय की हालांकि इसमें टूट-फूट का खर्च सहना पड़ा. आज हर बोतल की कीमत 46–48 रुपये आती है जिसमें जीएसटी और ट्रांसपोर्टेशन शामिल है. रीटा कहती हैं, 'अल्को-बेवरेज सेक्टर स्टार्टअप-फ्रेंडली नहीं है. मैं नीतिगत सुधारों की मुखर वकालत करती हूं, ताकि यह सेक्टर जमीनी और प्रथम पीढ़ी के उद्यमियों के लिए समावेशी बने.' 

मिले कई अवॉर्ड और बनी पहचान 

कठिनाइयों के बावजूद नारा-आबा आज 60,000 लीटर क्षमता वाली वाइनरी बन चुकी है, जहां कीवी के साथ-साथ आलूबुखारे और नाशपाती की वाइन भी तैयार होती है. रीटा ने एक डिसेंट्रलाइज्‍ड सप्लाई चेन बनाई है जिसमें उनकी अपनी तीन हेक्टेयर की बगिया और स्थानीय किसानों के सहकारी समूह की फसलें शामिल हैं. इससे रोजगार बढ़ा है. स्थानीय स्कूली ड्रॉपआउट्स को बगीचों और वाइनरी में काम मिला, जबकि फसल कटाई और प्रोसेसिंग के दौरान युवा लड़के-लड़कियों को भी काम का अवसर मिला. इसके साथ ही वाइन टूरिज्‍म भी पनपा. जीरो वैली, जो पहले से ही टूरिस्‍ट्स का आकर्षण रही है, अब यहां वाइन टेस्टिंग और टूर का भी आनंद उपलब्ध है.

रीटा को साल 2018 में नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र का ‘विमेन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवॉर्ड’ मिला. साल 2022 में भारत सरकार का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘नारी शक्ति पुरस्कार’से नवाजा गया और उसी साल अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने उन्हें प्रतिष्ठित ‘फॉर्च्यून–ग्लोबल वुमेन्स मेंटरिंग पार्टनरशिप’ कार्यक्रम में चुना और वह दुनिया की सिर्फ 15 महिलाओं में से एक थीं. पिछले साल ताइपे स्थित भारतीय दूतावास ने उनकी वाइनरी को सैकड़ों प्रतिस्पर्धियों में से चुनकर ऑर्डर दिया है. 

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